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महाराष्ट्र में कोरोना का नया स्ट्रेन, तो देश में हर्ड इम्युनिटी है दूर की कौड़ी ?

नई दिल्ली/दि.२२ – देश में कोरोना वायरस के मामलों में एक बार फिर से तेजी से उछाल देखा जा रहा है. महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में बढ़ रहे कोविड-19 के मामले ये दिखाते हैं कि कम से कम इन सभी राज्यों में हम हर्ड इम्युनिटी पाने के मामले में अभी बहुत पीछे हैं. पांच महीने तक लगातार कम होती कोरोना वायरस के मामलों की संख्या के चलते ऐसा लग रहा था कि हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां पर हर्ड इम्युनिटी ने काम करना शुरू कर दिया है. ऐसा इन राज्यों में भी हुआ जहां पहले तेजी से मामले सामने आ रहे थे.
ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना के मामलों में लंबे समय तक गिरावट दर्ज की गई थी और इसके लिए कोई अच्छी व्याख्या नहीं थी, जो कि अभी भी नहीं है. हालांकि टेस्टिंग के रेट में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया लेकिन लॉकडाउन के नियमों में ढील, त्योहार और चुनावों के चलते लोग बड़ी संख्या में बाहर निकले और राजनीतिक गतिविधियां भी दोबारा शुरू हो गईं. किसानों का प्रदर्शन अभी भी जारी है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क पहनना भी धीरे-धीरे कम हो चला है. इसलिए, सीरो सर्वेक्षणों से कोरोबेरेटिव डेटा की कमी के बावजूद, ऐसे कहा जा रहा था कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही संक्रमित हो चुका था, जो कि परीक्षण के माध्यम से पता चली संख्याओं से परे था, और यही वह था जिसके परिणामस्वरूप लगातार मामलों में गिरावट आई थी.

  • ऐसे काम करती है हर्ड इम्युनिटी

फिलहाल सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के स्तर को लेकर कोई विशेष बिंदु नहीं है जिसके बाद हर्ड इम्युनिटी की शुरुआत है. सामान्य तौर पर, एक बार अगर 40 से 50 प्रतिशत जनसंख्या संक्रमित हो जाती है तो संक्रमण की रफ्तार में कमी दर्ज की जाती है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि असंक्रमित लोग जो कि संक्रमित हो सकते हैं उनकी संख्या पहले के मुकाबले कम हो जाती है.
महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ रहे मामले ये दिखाते हैं कि अभी भी ऐसा हो सकता है कि एक बड़ी जनसंख्या असंक्रमित ही हो, और ऐसे में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से पूर्व फरवरी के पहले सप्ताह में गिरकर 2,500 तक आ गए थे. जबकि अब पिछले तीन दिन से राज्य में 6 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए जा रहे हैं. रविवार को करीब 7000 केस आए. इतने अधिक मामले इससे पहले अक्टूबर में दर्ज किए गए थे.
देश में अक्टूबर के बाद से लगातार कम हो रहे मामलों के चलते टेस्टिंग में भी कमी आ गई थी, जिसमें कि अब बदलाव लाने की जरूरत है. कम से कम उन राज्यों में जहां केस बढ़ रहे हैं. देश में औसत परीक्षण की दर 10 लाख से सात लाख तक पहुंच गई है. हालांकि पिछले दिनों से इस संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है.

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