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कर्ज अदायगी में मिले और एक वर्ष की छूट

सांसद नवनीत राणा ने उठायी लोकसभा में मांग

नई दिल्ली हिंस/दि.१७ – संसद के जारी पावस सत्र के दौरान गुरूवार को लोकसभा में बैंक व वित्तीय संशोधन विधेयक रखा गया. जिस पर हुई चर्चा में अपने विचार रखते हुए अमरावती की सांसद नवनीत रवि राणा ने कहा कि, केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा मोरेटेरियम योजना को छह माह तक लागू किया गया था, लेकिन देश से कोरोना का संकट अब भी टला नहीं है. बल्कि खतरा लगातार बढता जा रहा है. अत: मोरीटेरियम की कालावधि को और एक वर्ष तक बढाया जाये. साथ ही कर्जधारकों को ब्याज में सहूलियत दी जाये.  इसके साथ ही सांसद नवनीत राणा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारामण से कहा कि, इस समय कई सहकारी बैंकों द्वारा मनमाने तरीके से कामकाज किया जा रहा है और बैंकों के संचालक मंडल द्वारा अपने हित साधने हेतु अपनी मर्जी के लोगों को नियमबाह्य तरीके से कर्ज वितरित किया जाता है.
किंतु कर्ज वसूली का समय आने पर इन कर्जधारकों द्वारा अपने हाथ खडे कर दिये जाते है. जिसकी वजह से अंशधारको सहित ईमानदार खाताधारकों के पैसे डूब जाते है. मुंबई स्थित सिटी बैंक का उदाहरण देते हुए सांसद नवनीत राणा ने खाताधारकों व अंशधारकों की व्यथा को सभागृह में रखा. साथ ही ऐसी सभी बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक का सीधा नियंत्रण रखने की मांग की. इसके साथ ही सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, लाखों लोग अपनी जरूरतें पूरी करने और कामकाज को जारी रखने हेतु पतसंस्थाओं, सहकारी बैंकों, फाईनान्स कंपनियों तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज लेते है. लेकिन इस वर्ष कोरोना की महामारी की वजह से कई लोगों का रोजगार चला गया है और उद्योग-धंदे ठप्प हो गये है. ऐसे में गरीबों, लघु उद्योजकों व मध्यमवर्गीयों के सामने सबसे बडा मसला यह है कि, वे अपना घर कैसे चलाये और कर्ज की अदायगी कैसे करें. अत: इस मामले में आम लोगों को राहत देने हेतु वित्त मंत्रालय द्वारा छह माह के लिए शुरू की गई मोरेटेरियम योजना की कालावधि को और एक वर्ष तक बढाया जाये.

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