नई दिल्ली/दि.१३– केंद्र सरकार चीन को आर्थिक मोर्चे पर झटका देने का कोई मौका नहीं चूक रही है. अब सरकारी तेल कंपनियों ने चीन कंपनियों द्वारा संचालित टैंकरों (तेल पोतों) को ठेका नहीं देने का फैसला किया है. यदि चीन की कंपनियों के टैंकर किसी तीसरे देश में भी रजिस्टर्ड हैं तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया जाएगा. यहां बता दें कि सीमा पर चीन की हरकतों से पूरे देश में गुस्से का माहौल है और सरकार ने भी चीन के साथ कारोबार को सीमित करना चाहती है. इसी के मद्देनजर तेल कंपनियों ने यह कदम उठाया है.
भारतीय तेल कंपनियों के पास पहले ही ग्लोबल टेंडर्स में फर्स्ट राइट ऑफ रिफ्यूजल क्लॉज (इनकार करने का पहला अधिकार) है. इस प्रावधान के मुताबिक अगर भारतीय टैंकर टेंडर जीतने वाले विदेशी पोतों के बराबर बोली लगाते हैं तो घरेलू टैंकरों को कॉन्ट्रैक्ट दिया जा सकता है. तेल कंपनियों के इस कदम में चीन से संबंध रखने वाले टैंकर होड़ से बाहर हो जाएंगे.
रेलवे ने भी की पहल
रेलवे ने भी कानपुर और मुगलसराय के बीच सिग्नल और दूरसंचार के काम के लिए चीनी कंपनी पेइचिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजायन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल ऐंड कम्युनिकेशन ग्रुप को दिए 471 करोड़ रुपये के ठेके को काम की धीमी गति के कारण रद्द कर दिया है.