नई दिल्ली/दि.१७ – संसद के मॉनसून सत्रके दौरान राज्यसभा में भारत-चीन तनाव पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत की कोशिश टकराव टालने की है. उन्होंने कहा कि भारत इस मसले पर बातचीत से हल निकालने का पक्षधर है. सदन में बोलते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि चीन ने दोनों देशों के बीच 1993 और 1996 में हुए समझौतों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच समझ बनी थी कि LAC पर सेना कम से कम रखी जाएगी. विवाद होने पर बातचीत की जाएगी और किसी भी हालत में यथास्थिति का उल्लंघन नहीं किया जाएगा. दोनों देशों के बीच संघर्ष न पैदा हो, इसके लिए पारस्परिक समझ बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन चीन इस कोशिश से पीछे हट गया. राजनाथ सिंह ने कहा, चीन की गतिविधियों से स्पष्ट है कि उसकी कथनी और करनी में अंतर है. उसकी तरफ से फिर 29-30 अगस्त को उकसावे की कार्रवाई की गई. हमारे फर्म और समयबद्ध एक्शन के कारण वह सफल नहीं हो पाए.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सदन को जानकारी है कि पिछले कई दशकों में चीन ने बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधि शुरू की है, जिनसे सीमावर्ती इलाकों में उनकी डिप्लॉयमेंट क्षमता बढ़ी है. इसके जबाव में हमारी सरकार ने भी सीमावर्ती निर्माण विकास के लिए बजट बढ़ाया है, जो पहले से लगभग दुगुना हुआ है. उन्होंने सदन में कहा कि चीन की तरफ से समझौतों का पालन न किए जाने की वजह से एलएसी के आसपास फेस ऑफ के हालात पैदा हुए हैं. चीनी सेना का हिंसक व्यहवार सभी समझौतों का उल्लंघन है. उन्होंने अभी भी दक्षिण और उत्तर पैंगोंग सो समेत अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में गोलाबारूद इकठ्ठा किया हुआ है. हमने भी इसके जवाब में काउंटर डिप्लॉयमेंट किया है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि एक ओर किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीँ भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता रखना आवश्यक हैं. रक्षामंत्री ने कहा कि अभी संवेदनशील ऑपरेशनल मामले शामिल हैं इसलिए मैं वर्तमान स्थिति का ज़्यादा खुलासा नहीं करूंगा. मुझे आशा है कि यह सदन इसको समझेगा. अब बेहतर रोड कनेक्टिविटी के बूते ज़रूरत पडऩे पर हम बेहतर जवाब दे सकते हैं. देशहित में हमें कितना भी बड़ा और कितना भी कड़ा कदम उठाना पड़े, भारत इसमें पीछे नहीं हटेगा. हम देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे. न ही हम किसी का मस्तक झुकाना चाहते हैं. जब भी कोई चुनौती आई है, इस सदन ने पूरा विश्वास व्यक्त किया है. मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे जवान पूरी तरह विश्वास से भरे हैं.