मानसून की विदाई के बावजूद जारी रहेगी बारिश, बढेगी तूफानी सक्रियता
दुनियाभर के मौसम मॉडल में अक्टूबर से दिसंबर तक ला-नीना के लिए अनुकूल परिस्थितियों के संकेत
नई दिल्ली/दि.३ – इस बार मानसून की विदाई के बाद भी अक्टूबर से दिसंबर के दौरान अच्छी बारिश हो सकती है. इसके साथ ही बंगाल की खाडी में तूफानी सक्रियता बढेगी. दुनियाभर के मौसमी मॉडल में अक्टूबर से दिसंबर के दौरान ला-नीना उभरने के लिए अनुकूल परिस्थितियों के संकेत हैं. भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया, मानसून के बाकी बचे दो महीनों मेें सामान्य बारिश होगी. एनसो (एल-नीनो-व ला-नीना चक्र) परिस्थितियां न्यूट्रल (तटस्थ) बनी हैं. और मानसून खत्म होने तक यह स्थिति बनी रहेगी. उसके बाद ला-नीना उभरने की संभावना है. मौसमी अध्ययन बताते हैं कि, ला-नीना उभरने पर मानसून सक्रिय रहता है, बंगाल की खाडी में साइक्लोनिक (तूफानी) गतिविधियां बढती हैं, समुद्री तूफान भी आ सकता है. महापात्रा ने कहा, ऐसा कोई पूर्वनुमान तंत्र मौजूद नहीं है. जिससे यह पता चल सके कि अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कब, कहां समुद्री तूफान आएगा और उसका कहां तक असर होगा. पिछले वर्ष ला-नीना परिस्थितियां मानसून के आखिरी महीने में उभरने से सितंबर में काफी बारिश हुई थी. यही कारण था कि, मानसून में 109 फीसदी बारिश हुई थी. मानसून की वापसी भी देर से शुरु हुई लेकिन फिर एकाएक पूरे देश से विदा हो गया. आमतौर पर जब-जब ला-नीना स्थितियां पैदा होती हैं औसत से ज्यादा ही बारिश होती है.
-
अगस्त में 99 फीसदी की संभावना
आईएमडी के महानिदेशक ने कहा, मानसून मॉडल ने अगस्त में 94 से 104 फीसदी बारिश के संकेत दिए हैं. वहीं अगस्त-सितंबर दोनों महीनों को मिलाकर 100 फीसदी बारिश होने की संभावना है. अगस्त के दौरान सामान्य रुप से 258.1 मिमी और अगस्त-सितंबर मिलाकर 428.3 मिमी सामान्य बारिश होती है. जून-जुलाई के दौरान एक फीसदी कम बारिश हुई है. यदि दोनो महिनों की अलग-अलग बात करें तो जून में सामान्य रुप से 166.9 मिमी बारिश होनी चाहिए लेकिन 182.9 मिमी बारिश हुई. हालांकि जुलाई में सामान्य (285.3 मिमी) से सात फीसदी कम (266 मिमी) बारिश हुई. इस मानसून में अब तक सामान्य रुप से 452.2 मिमी बारिश होनी थी लेकिन 449 मिमी बारिश ही हुई. बकी बचे दो महीनों में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान के कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होगी जबकि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, तेलंगणा, आंध्र प्रदेश कोकण व गोवा, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिणी गुजरात व बिहार में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी जबकि देश के बाकी हिस्सो में सामान्य बारिश के आसार है.
-
अच्छी बारिश से पैदावार भी अच्छी रहेगी
मानसून में अच्छी बारिश होने के साथ ही एशिया की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था में अच्छी पैदावार की उम्मीद बढ गई है. मानसून का सीधा असर फसलों और पैदावार पर पडता है. खेती के लिहाज से औसत बारिश का लंबे समय तक होना अच्छी बात है. अगस्त व सितंबर की औसत बारिश से फसलों की अच्छी उपज होगी. भारत में मानसून के साथ ही खरीफ की फसलों की बुवाई भी शुरु हो जाती है. जो पूर्ण रुप से मानसून पर निर्भर करती है.