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क्या आइवरमेक्टिन पर रोक की वजह से तमिलनाडु में ज्यादा मौतें हुईं?

अमेरिका के नामचीन फिजिशियन ने किया दावा

नई दिल्ली/दि. 13 – आइवरमेक्टिन पर रोक की वजह तमिलनाडु में ज्यादा मौतें हुई हैं. दरअसल ये बयान फ्रंट लाइन कोविड क्रिटिकल अलायंस (FLCC) के सदस्य डॉ पियरे कोरी का है, जो अमेरिका के नामचीन फिजिशियन हैं. डॉ पियरे कोरी ने इंडिया अहेड से बातचीत के दौरान कहा कि तमिलनाडु को उत्तर प्रदेश और दिल्ली का ग्राफ जरूर देखना चाहिए. डॉ कोरी ने दावा किया कि सबसे ज्यादा विश्वसनीय और सस्ती दवा को बेकार कॉरपोरेट इंट्रेस्ट की वजह से बताया जा रहा है, जो दुनियां के लिए शर्मनाक है.
डॉ कोरी कहते हैं कि उनका रिव्यू पेपर वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है, जो अमेरिका में तीन सरकारी सीनियर साइंटिस्ट के द्वारा रिव्यू किया गया है. इतना ही नहीं आइवरमेक्टिन पर पांच पब्लिश्ड रिव्यू पेपर हैं, जो इसकी महत्ता को साफ दर्शाता है. दुनियां में मैक्सिको और अर्जेन्टीना ऐसे देश हैं, जिनकी कोविड से सफल तरीके से निपटने की कहानी दुनियां को जाननी चाहिए. डॉ कोरी दावा करते हैं कि आइवरमेक्टिन किसी भी वायरस की बीमारी के खिलाफ सफलतम दवा है, चाहे वो डेंगी हो या जिक्का या फिर इन्फ्लूएंजा.

दरअसल डॉ कोरी का दावा है कि कोविड में बुखार, खांसी, हेडेक और बॉडी में दर्द के साथ साथ लंग्स में इन्फ्लेमेशन की बीमारी होती है. रिसर्च में इन बातों का पुख्ता प्रमाण है कि आइवरमेक्टिन न केवल प्रिवेंटिव मेडिसिन के तैर पर इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसे लेने के बाद हॉस्पिटलाइजेशन और मोर्टेलिटी में भारी कमी आना सुनिश्चित है. डॉ पियरे कोरी इसलिए सलाह देते हैं कि आइवरमेक्टिन को हर घर में रखा जाना चाहिए और थोड़ा सिम्टम आते ही इसका फौरन इस्तेमाल किया जाना चाहिए. दरअसल तमिलनाडु में 14 मई को कोविड की बीमारी के दरमियान आइवरमेक्टिन पर रोक लगा दी गई थी और इसलिए डॉ पियरे कोरी वहां की मौत के आंकड़ों के लिए इस फैसले को जिम्मेदार ठहराते हैं. आइवरमेक्टिन को डब्लूएचओ और आईसीएमआर भी कारगर नहीं मानता है. डॉ कोरी डब्लूएचओ पर सीधा इल्जाम नॉन साइंटिफिक स्टडी का लगाते हुए कहते हैं कि फॉर्मा और कॉरपोरेट इंट्रेस्ट में डब्लूएचओ काम करता है और ये किसी से छिपा नहीं है. पिछले 20 सालों में डब्लूएचओ पर सवाल उठाते हुए डॉ कोरी ने उसे लोगों के हित में न काम करते हुए फॉर्मा कंपनी के लिए हितकारी करार दिया. डॉ कोरी तमाम फिजिशियन से अपील करते हुए कहते हैं कि साइंटिफिक स्टडी को आधार बनाते हुए मरीज का इलाज करें और इसमें आईसीएमआर को दखल नहीं देना चाहिए. दरअसल हाल ही में आईसीएमआर ने अपने प्रोटोकॉल से आइवरमेक्टिन को हटा दिया है. वहीं डब्लूएचओ ने कोविड के लिए गैर जरूरी दवा करार देते हुए समुचित वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं होने की बात कही है. डॉ पियरे कोरी कहते हैं कि आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल अगर सिस्टेमेटिक ढंग से पूरी दुनियां में किया जाए तो 100 बिलियन डॉलर के सिर्फ कई वैक्सीन कंपनियों के व्यापार को तगड़ा झटका लगेगा, जिन्हें इमरजेंसी अप्रूवल के जरिए परमिशन दिया गया है. डॉ पियरे कोरी वही डॉक्टर हैं, जिनकी सलाह पर पिछले साल कॉर्टिकोस्टेरॉइड तमिलनाडु में इस्तेमाल किया गया था और काफी लोगों की जानें बची थीं, लेकिन इस दफा आइवरमेक्टिन पर रोक लगाने की वजह से वो तमिलनाडु सरकार समेत विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईसीएमआर पर दुखी हैं. दुनियां के कई देशों में आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल न करने की वजह वो फॉर्मा और कॉरपोरेट का वेस्टेड इंट्रेस्ट मानते हैं, जो मामले को ज्यादा गंभीर बनाकर कई दवाएं और वैक्सीन समेत अन्य चीजें बेचकर जोरदार मुनाफा कमाना चाह रहे हैं.

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