नई दिल्ली/दि.२३- उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कानून के एक छात्र को आगाह किया कि वह न्यायाधीशों को ”योर ऑनर” कह कर संबोधित नहीं करे क्योंकि यह ”अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट” नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रण्यन की पीठ ने कानून के छात्र से कहा, ”जब आप ‘योर ऑनर’ कह कर संबोधित करते हैं, तो ऐसा लगता है कि आपके मन में यूएस सुप्रीम कोर्ट है. छात्र ने फौरन ही पीठ से माफी मांगते हुए कहा कि वह न्यायालय को ”योर लॉर्डशिप” कह कर संबोधित करेगा.
इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा, ”जो कुछ भी हो, पर अनुपयुक्त शब्द का इस्तेमाल नहीं करें. पीठ ने छात्र से कहा कि अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट में और यहां मजिस्ट्रेट कोर्ट में अदालत को ”योर ऑनर” कह कर संबोधित किया जा सकता है, लेकिन भारत के उच्चम न्यायालय में नहीं.
इसके बाद, पीठ ने उससे पूछा कि उसका मामला क्या है. इस पर, छात्र ने कहा कि उसकी याचिका में आपराधिक न्याय क्षेत्र पर न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का अनुरोध किया गया है. पीठ ने उससे कहा कि उसे यह नहीं मालूम है कि शीर्ष न्यायालय में पहले से (इस संबंध में) एक विषय लंबित है, जिसमें अधीनस्थ न्यायपालिका स्तर तक बुनियादी ढांचे को चरणबद्ध तरीके से मजबूत करने का निर्देश जारी किया गया है.
इस पर कानून के छात्र ने जब इस बारे में अनभिज्ञता जताई, तब न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि उसने यहां आने से पहले अपनी तैयारी नहीं की. पीठ ने विषय को चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया और छात्र को सुनवाई की अगली तारीख पर तैयारी करके आने को कहा.