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पछडे व्यक्तियों के नाम कुख्यातों की सूची में न आने दें

सुप्रीम कोर्ट के राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश

नई दिल्ली/दि.09– निरपराध लोगों के और पिछडे समाज के लोगों के नाम कुख्यात आरोपियों की सूची में न आए, इस बात का ध्यान रखने के निर्देश सुुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को मंगलवार को दिए है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और के.वी. विश्वनाथन के पीठ ने इस मामले में स्वयं कार्रवाई शुरु करते हुए कहा कि, सार्वजनिक रुप में कुछ अभ्यास उपलब्ध है जो अन्याय, पूर्वग्रहदूषित और अत्याचारी मानसिकता का नमूना है. राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों ने पिछडा समुदाय, अनुसूचित जाती अथवा जनजाति तथा सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से वंचित पृष्ठभूमि के निष्पाप लोगों के नाम कुख्यात आरोेपियों की सूची में न आने दें, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. कुख्यात आरोपियों की सूची अंतर्गत सार्वजनिक दस्तावेज है और सार्वजनिक तरीके से देने के लिए नहीं. न्यायालय राय व्यक्त करते हुए कहा कि, हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि, पूर्वग्रह, एकही विचारधारा से संबंधित समुदाय के ऐसे व्यक्ति अदृश्य शिकार होते है और इससे स्वाभिमान ने जीवन जीने के उनके अधिकार में रुकावट आती है.

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