नई दिल्ली/दि. 14 – कोरोना संकट के बीच देश की जनता महंगाई की दोहरी मार से जूझ रही है. मई महीने में खुदरा महंगाई दर छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. मई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI बढ़कर 6.30 फीसदी पर पहुंच गई. यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दायरे से बाहर पहुंच गया है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिटेल इंफ्लेशन का टार्गेट 4 फीसदी रखा है. इसमें +/- 2 फीसदी का मार्जिन दिया गया है. आरबीआई हर हाल में इसे अधिकतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी के बीच रखना चाहता है. ऐसे में यह RBI के कैप से बाहर निकल गया है. अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई दर 4.23 फीसदी रही थी. मई के महीने में फूड इंफ्लेशन बढ़कर 5.01 फीसदी पर पहुंच गया जो अप्रैल में महज 1.96 फीसदी था.
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खुदरा महंगाई का मॉनिटरी पॉलिसी पर होता है असर
Retail Inflation का यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी के आधार पर रिजर्व बैंक अपनी मॉनिटरी पॉलिसी को संभालता है. पिछले सप्ताह RBI MPC की अहम बैठक हुई थी. इसमें रिजर्व बैंक ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था. अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. उस समय गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आर्थिक सुधार के लिए RBI हर जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार है.
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रिजर्व बैंक ने क्या लगाया है महंगाई का अनुमान
Reserve Bank of India ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रिटेल इंफ्लेशन का अनुमान 5.1 फीसदी रखा है. उसके मुताबिक जून तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 फीसदी, सितंबर तिमाही में यह 5.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 4.7 फीसदी और मार्च तिमाही में इसके 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.