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कृषि के विकास के लिए महाराष्ट्र में ड्रोन का चलन बढा

महाराष्ट्र में खुले 12 रिमोट पायलट प्रशिक्षण केंद्र

नई दिल्ली /दि. 12- खेती को उन्नत तरीके से करने के लिए महाराष्ट्र में ड्रोन का चलन बढा है. रिमोट पायलट प्रशिक्षण केंद्र के खुलने के मामले में भी महाराष्ट्र देश में अन्य राज्यों के मुकाबले आगे निकलता हुआ दिख रहा है. नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की वेबसाइट डीजी स्काई के मुताबिक देश में अभी करीब 60 ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र है, जिसमें से अकेले राज्य में 20 प्रतिशत से ज्यादा है. राज्य में जिन जगहों पर यह प्रशिक्षण केंद्र खोले गए है. उनमें बारामती, कोल्हापुर, गोरेगांव (मुंबई), हवेली (पुणे), पालघर, सांगली, सानपाडा (नई मुंबई), राहुली (अहमदनगर), लक्ष्मीनगर (पुणे), राजगुरूनगर, (खेड-पुणे), उस्मानाबाद और जुहू एयरपोर्ट सांताक्रुज आदि शामिल है. डीजी स्काई के मुताबिक यह प्रशिक्षण केंद्र से खेती खेतों में कीटनाशकों और नैनों उर्वरकों के छिडकाव के लिए ड्रोन केे उपयोग में तेजी आ रही है. डीजीसीए में प्रमाणित देश की पहली ड्रोन निर्माता कंपनी आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन के सह संस्थापक दीपक भारद्बार एवं अनूप उपाध्याय बताते है कि ड्रोन की सबसे ज्यादा मांग महाराष्ट्र से आ रही है. महाराष्ट्र में विभिन्न फलों की खेती होती है. जहां पर स्प्रे करने की सबसे अधिक जरूरत होती है. फलस्वरूप ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र भी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा खुल रहे है. उन्होंने कहा कि अग्रणी ड्रोन निर्माता कंपनी होने के नाते हमारा फोकस भी महाराष्ट्र पर है और जल्द ही हम महाराष्ट्र में एक ड्रोन सर्विस सेंटर भी स्थापित करने जा रहे हैं.
केंद्रीय मगर विमानन मंत्रालय के डिजिटल स्काई की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक देश में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में कुल 12 रिमोट पायलट प्रशिक्षण केंद्र खोले जा चुके हैं. जबकि हरियाणा में 10, तेलंगाना में 5, गुजरात में 6, तमिलनाडू में 4, आंध्र प्रदेश में 3, कर्नाटक में 7, उत्तर प्रदेश में 3, मध्यप्रदेश में 3 के साथ केरल, उडीसा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, असम और दिल्ली में क्रमश: एक-एक प्रशिक्षण केंद्र हैं. जबकि देश के अन्य 12 राज्यों में अभी एक भी रिमोट पायलट प्रशिक्षण केंद्र नहीं है. इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार समेत कुछ उत्तर पूर्वी राज्य शामिल है.

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