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महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे निकायों के चुनाव

अंतत: ओबीसी आरक्षण का रास्ता खुला

* बंठिया आयोग की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव करवाने सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया आदेश
* निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में चुनावी प्रक्रिया शुरू करने कहा
नई दिल्ली/दि.20– महाराष्ट्र के स्थानीय स्वायत्त निकायों में ओबीसी संवर्ग के लिए सीटें आरक्षित रखने का रास्ता अब खुल गया है. इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बंठिया आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए इस रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण के साथ स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव करवाने का आदेश राज्य निर्वाचन आयोग को दिया है. साथ ही आगामी दो सप्ताह के भीतर स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए निर्वाचन संबंधी काम शुरू करने का भी निर्देश जारी किया है.
बता दें कि, ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य में विगत लंबे समय से राजनीतिक गतिरोधवाली स्थिति बनी हुई है और इससे पहले राज्य पिछडावर्गीय आयोग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी आरक्षण के बिना ही राज्य के स्थानीय स्वायत्त निकायों में चुनाव करवाने के आदेश दिये थे. जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा पिछडावर्गीयों का इम्पिरिकल डाटा पेश करने हेतु बंठिया आयोग का गठन किया गया था और बंठिया आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी समाज के लिए स्थानीय स्वायत्त निकायों में 27 फीसद आरक्षण रखे जाने की सिफारिश की है. बंठिया आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिये जाने के चलते अब ओबीसी संवर्ग को 27 फीसद राजनीतिक आरक्षण मिलने का रास्ता खुल गया है.
ज्ञात रहे कि, इस समय राज्य में 92 नगरपालिकाओं व 4 नगर पंचायतों के चुनाव अटके हुए है. जहां पर दो सप्ताह के भीतर चुनावी कार्यक्रम घोषित करने का निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को दिया गया है.
बता दें कि, महाराष्ट्र में 34 जिला परिषद, 351 पंचायत समिती, 241 नगर पालिका, 27 महानगर पालिका, 128 नगर पंचायत तथा 27,831 ग्राम पंचायत है. ओबीसी संवर्ग का राजनीतिक आरक्षण लागू होने पर महानगर पालिकाओं में बंठिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 27 फीसद आरक्षण के हिसाब से 7 महापौर पद ओबीसी संवर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे. इसी तरह राज्य की कुल 241 नगर पालिकाओं में से 66 नगरपालिकाओं तथा 128 नगर पंचायतों में से 27 नगर पंचायतों में नगराध्यक्ष पद ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे. इसके साथ ही अब सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों की कुल सीटों में से 27 फीसद सीटें ओबीसी संवर्ग के प्रत्याशियों हेतु आरक्षित रखी जायेगी.

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