नई दिल्ली/दि.१४ – सरकारी नौकरी हो या निजी नौकरी, अनेक कर्मचारी बदली के लिए प्रयास करते हैं. सरकारी नौकरी में बदली के लिए एक निश्चित प्रक्रिया और नियम भी होते हैं. निजी क्षेत्र में बदली पर से कई बार मालिक और कर्मचारी के बीच विवाद होते हैं. उत्तर प्रदेश के ऐसे ही एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बदली संदर्भ में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है. इस निर्णयानुसार इच्छित स्थान पर बदली करवाने के लिए कर्मचारी विनती कर सकेेंगे. लेकिन विशिष्ट स्थान पर बदली के लिए जबर्दस्ती नहीं की जा सकेगी, ऐसा न्यायालय ने स्पष्ट किया है.
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इलाहाबाद न्यायालय ने खारिज की थी याचिका
सोमवार को हुई इस मामले की सुनवाई दरमियान न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है. अमरोहा के राजनीतिक महाविद्यालय में याचिका करने वाली महिला मानसशास्त्र की प्राध्यापिका के रुप में काम करती हैं. लेकिन उन्हें नोएडा में पदव्युत्तर महाविद्यालय में बदली करवानी थी. इस संदर्भ में अलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका 14 सितंबर 2017 में खारिज की थी. पश्चात उन्होंने सीधे सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई. इस पार्श्वभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में जारी सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया है. न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की दो सदस्यीय खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया.
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उसी स्थान पर फिर से बदली नहीं?
किसी कर्मचारी की एखाद स्थान पर बदली करना या न करना इसके लिए कर्मचारी आग्रह नहीं कर सकता. यह निर्णय नौकरी देने वालों पर अवलंबित है. आवश्यकतानुसार वे यह बदली करते हैं, ऐासा न्यायालय का कहना है. दरमियान याचिकाकर्ता प्राध्यापिका ने नोएडा के जिस महाविद्यालय में बदली की मांग की थी, उस स्थान पर उन्होंने 13 वर्ष नौकरी की थी. न्यायालय का कहना है कि जिस स्थान पर याचिकाकर्ताओं ने 13 वर्ष तक लंबे समय तक नौकरी की है. तो उसके बाद वे अन्य किसी भी स्थान पर बदली करवाने के लिए विनती कर सकेेंगे. लेकिन फिर से उसी स्थान पर बदली नहीं मिलेगी.