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कानूनों का लाभ समझाने उतरी केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज

किसान ने कहा कानून वापसी तक जारी रहेगा संघर्ष

नई दिल्ली/दि.२५ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताते हुए इन्हें वापस न लेने का संकेत दिया है. हालांकि, उन्होंने किसानों से बातचीत के लिए तैयार रहने की बात कहकर कानून में कुछ सुधार की गुंजाइश अवश्य बरकरार रखी है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर आयोजित अटल संवाद कार्यक्रम के जरिए किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति में मजबूती के लिए कृषि व्यवस्था में सुधार जरूरी हैं. वहीं, किसानों ने कहा है कि तीनों कानूनों को वापस लेने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. 2018 से ही जारी किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करने के लिए प्रधानमंत्री को ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए.
प्रधानमंत्री के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रमुख आंदोलनकारी किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री यह संकेत दे रहे हैं कि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिए जाएंगे तो किसान भी यह कहने के लिए मजबूर हैं कि सरकार द्वारा तीनों विवादित काले कानूनों को वापस लिए जाने के बिना वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि यह किसानों का आंदोलन है और इसके साथ किसी अन्य पार्टी या संस्था का नाम जोडऩा सही नहीं है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 2018 से चली आ रही है और अब केवल इसकी एक किस्त जारी कर इसका ढिंढोरा नहीं पीटा जाना चाहिए.
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अविक साहा ने कहा कि आज भी प्रधानमंत्री किसान परिवारों को 500 रुपये प्रति माह की मदद कर रहे हैं. इससे यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री यह मानते हैं कि देश के किसानों की स्थिति इतनी कमजोर है कि उनके लिए 500 रुपये की मदद भी बड़ी चीज है. यह स्वयं देश के किसानों की बदहाल स्थिति को बयान करने के लिए काफी है. उन्होंने कहा कि एपीएमसी मंडियों के आने के पहले देश में खुली बाजार व्यवस्था ही लागू थी. लेकिन इसके बाद भी किसान खुशहाल नहीं था.
किसान नेता का कहना है कि इसी बात से साबित हो जाता है कि खुली बाजार की व्यवस्था किसानों को मजबूती देने में नाकाम साबित हुई है. आज भी बिहार जैसे राज्यों में जहां खुली बाजार व्यवस्था है, वहां भी किसानों की स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में सरकार को पूरे देश में ऐसी व्यवस्था क्यों लागू करनी चाहिए. अगर प्रधानमंत्री किसानों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने पर विचार करना चाहिए. इससे पंजाब-हरियाणा के किसानों की तरह पूरे देश के किसानों में मजबूती आएगी.
दूसरी ओर, दिल्ली सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में केंद्र सरकार के मंत्रियों; गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और अन्य भाजपा नेताओं ने किसानों से बातचीत की और उन्हें कृषि कानूनों का लाभ समझाया. पूरी वार्ता में सरकार ने बताने की कोशिश की कि कृषि कानून किसानों के हित में हैं, लेकिन कुछ विपक्षी नेताओं के कहने में आकर कुछ किसान भ्रमित होकर आंदोलन कर रहे हैं. इसके अलावा शुक्रवार को पंजाब के किसान संगठनों की एक बैठक होगी. शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के किसानों की बैठक सिंघु बॉर्डर पर होगी जिसमें प्रधानमंत्री के संबोधन और कृषि मंत्री के बातचीत जारी रखने के पत्र पर विचार-विमर्श कर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

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