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पर्यावरण संरक्षण सरकार की जिम्मेवारी

ईआईए-2020 का मसौदा वापस लें

  • सोनिया गांधी ने कहा

    नई दिल्ली/दि.१३- केंद्र सरकार ने हमारी पर्यावरण संरक्षण की रूपरेखा पर बीते छह वर्षों में जानबूझकर अतिक्रमण किया है. यह आरोप कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लगाया है. उन्होंने कहा है कि पर्यावरण सरंक्षण की जिम्मेवारी सरकार की है. इस जिम्मेवारी को निभाते हुए ईआईए-२०२० मसौदा वापिस लेना चाहिए. बता दें कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए के मसौदे को लेकर अधिसूचना जारी की थी. उन्होंने गुरुवार को सरकार पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियमों को छिन्न-भिन्न करने का आरोप लगाया और कहा कि इस मसौदे को वापस लेने की मांग की है. उनके मुताबिक, अनियंत्रित आर्थिक विकास की कल्पना के पीछे भागने से हमारे देश को पर्यावरण और लोगों के अधिकारों दोनों का त्याग अक्सर करना पड़ा है. तरक्की के लिए व्यापारिक गतिविधियों की जरूरत होती है, लेकिन कुछ सीमाएं होनी चाहिए जिन्हें लांघा नहीं जा सकता.
    सोनिया ने दावा किया कि ईआईए-2020 की अधिसचूना का मसौदा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रदूषण फैलाने वालों को क्लीन चिट देता है तथा इससे हमारे पर्यावरण के लिए बड़ी तबाही आएगी. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह मसौदा आदिवासियों और वनक्षेत्रों में दूसरे निवासियों के अधिकारों पर सीधा हमला है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया का लेख साझा करते हुए ट्वीट किया, ”प्रकृति की रक्षा की जाती तो प्रकृति भी रक्षा करती है. भारत सरकार को पर्यावरण संबंधी नियमों को तार-तार करना बंद करना चाहिए. पहला जरूरी कदम यह है कि इस अधिसूचना का मसौदा वापस लिया जाए. गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए के मसौदे को लेकर अधिसूचना जारी की थी और इस पर जनता से सुझाव मांगे गए थे. इसके तहत अलग-अलग परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के मामले आते हैं.

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