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छोटे बच्चों को भी हो रहा डायबिटीज

एनसीबीआई की रिपोर्ट से निकली जानकारी

नई दिल्ली /दि.17– तेजी से बदलती खानपान की आदतें व जीवनशैली तथा परिवार में रहने वाली आनुवांशिकता के चलते किशोरवयीन बच्चे के साथ-साथ अब छोटे बच्चों में भी डायबिटीज का प्रमाण काफी तेजी से बढ रहा है. बेहद कम उम्र में डायबिटीज हो जाने के चलते बच्चों के दैनंदीन जीवन में भी काफी बदलाव हो जाता है. नैशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नॉलॉजी इंफर्मेेशन यानि एनसीबीआई द्बारा किए गए अध्ययन के मुताबिक इस समय 14.7 फीसद बच्चे डायबिटीज का शिकार है. एनसीबीआई द्बारा अपने इस अध्ययन के तहत 1 से 18 वर्ष के आयु गुट वाले बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सर्वेक्षण किया गया. जिसके तहत डायबिटीज का शिकार पाए गए ज्यादातर बच्चों में पहले प्रकार यानि टाइप-1 का डायबिटीज रहने की जानकारी सामने आयी.
* छोटे बच्चों में डायबिटीज की वजह से होने वाले बदलाव
– डायबिटीज का शिकार रहने वाले बच्चे छोटी उम्र से ही चिढचिढे हो जाते है और उन्हें अन्य बच्चों की तुलना में जल्दी व ज्यादा गुस्सा आता है.
– डायबिटीज का शिकार रहने वाले बच्चों में तनाव और निराशा का प्रमाण भी काफी अधिक रहता है.
– डायबिटीज का शिकार रहने वाले बच्चों को स्कूल में रहते समय इन्सूलिंग का इंजेक्शन लेने के लिए शिक्षकों अथवा कर्मचारियों के पास जाना पडता है. जिसकी वजह से उनमें एक तरह की अलग भावना पैदा होती है.

* पालकों का प्रतिबंध भी साबित होता है घातक
– कई बार अभिभावक भी डायबिटीज का शिकार रहने वाले बच्चों के साथ सामान्य व्यवहार नहीं करते. बल्कि उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलने-कुदने नहीं देते और उन्हें बीमार बताकर उनकी शारीरिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते है. जिसकी वजह से ऐसे बच्चों को काफी हद तक अकेलापन महसूस होता है.
– ऐसे में डायबिटीज का शिकार रहने वाले बच्चे धीरे धीरे खुदको समाज और दोस्तों से दूर करना शुरु कर देते है और किसी से भी बातचीत करने की बजाय शांत व चूप रहते है.
– अकेलेपन का शिकार होने की वजह से उनके मन में हमेशा ही नकारात्मक विचार आते है और वे तनाव एवं निराशा का शिकार हो जाते है.

* क्या करना जरुरी?
– यदि बच्चे को डायबिटीज हो गया है, तो उनके आत्मविश्वास को कम नहीं होने देना चाहिए. बल्कि डायबिटीज रहने के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में सफलता अर्जित करने वाले लोगों के उदाहरण उन्हें बताए जाने चाहिए.
– बच्चों को उनका मनपसंद और संपूर्ण आहार देना चाहिए. साथ ही यदि वे मीठा खाने की इच्छा रखते है, तो उन्हें ग्लूूटेन फ्री मॉफिन्स और डार्क चॉकलेट दिया जा सकता है.

* फास्ट फुट का बच्चों को होता है आकर्षण
बच्चों को चॉकलेट से भी अधिक फास्ट फुट खाने की इच्छा होती है. परंतु डायबिटीज की वजह से अभिभावकों द्बारा बच्चों को जंक फुड खाने से रोका जाता है. इस वजह से भी बच्चें चिढचिढे और आक्रामक हो सकते है.
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