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‘परीक्षा जीवन-मरण का प्रश्न नहीं’

दबाव और तनाव मुक्त परीक्षा को लेकर पीएम मोदी ने दिए मंत्र

नई दिल्ली/दि. ७ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minster Narendra Modi)  ने आने वाली परीक्षाओं को लेकर देश के भर के छात्रों से बुधवार को ऑनलाइन संवाद किया. उन्होंने ‘परीक्षा पर चर्चा'( Pareeksha Par Charcha) के कार्यक्रम के दौरानबुधवार को कहा कि परीक्षा छात्रों की जिंदगी में अंतिम मंजिल नहीं है, बल्कि यह एक छोटा सा पड़ाव भर है. इसलिए परिजनों या शिक्षकों को बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए. दबाव बच्चों पर परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन की बजाय उल्टा असर डालता है.
पीएम मोदी ने डिजिटल माध्यम से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद करते हुए ने कहा कि अगर बच्चों पर बाहर का दबाव कम हो जाता है तो वे कभी परीक्षा का दबाव महसूस नहीं करेंगे.आंध्र प्रदेश की एम पल्लवी और मलेशिया के अर्पण पांडे ने प्रधानमंत्री से परीक्षा का डर खत्म करने का उपाय पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने ये बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको डर परीक्षा का नहीं है. आपके आसपास एक माहौल बना दिया गया है कि परीक्षा ही सब कुछ है. यही जिंदगी है, और इस माहौल में छात्र कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं समझता हूं कि यह सबसे बड़ी गलती है, परीक्षा जिंदगी में कोई आखिरी मंजिल नहीं है. जिंदगी बहुत लंबी और इसमें बहुत से पड़ाव आते हैं. परीक्षा एक छोटा सा ठहराव है. उन्होंने अभिभावकों, शिक्षकों और रिश्तेदारों को छात्रों पर अनावश्यक दबाव ना बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि अगर बाहर का दबाव खत्म हो जाएगा तो छात्र परीक्षा का दबाव महसूस नहीं करेंगे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि परीक्षा अंतिम अवसर है. बल्कि वह एक प्रकार से लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आपको कसने का उत्तम अवसर है. परेशानी तब होती है, जब हम परीक्षा को ही जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं और जीवन मरण का प्रश्न बना लेते हैं.”
परीक्षा जीवन को निखारने का एक अवसर है. अभिभावकों को अपनों बच्चों को तनाव मुक्त जीवन देना चाहिए. अभिभावकों बच्चों के साथ समय बिताएं और बच्चों के असली सामर्थ्य ओर उनकी रुचि को जानने का प्रयास करें. लेकिन आज कुछ मां-बाप इतने व्यस्त हैं कि वे बच्चों को समय ही नहीं दे पाते. बच्चे की क्षमता का पता लगाने के लिए उन्हें परीक्षाओं का परिणाम देखना पड़ता ह. इसलिए बच्चों का आकलन भी परीक्षा के परिणाम पर सीमित हो गया है.

 

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