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आंदोलन के दौरान जान गंवानेवाले किसान परिवारों को नहीं मिलेगा मुआवजा

लोकसभा में केंद्र सरकार ने स्पष्ट रखी बात

नई दिल्ली/दि.२ – नए कृषि कानूनों पर प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत को लेकर लोकसभा में लिखित सवाल पूछे गए. सरकार से पूछा गया कि क्या केन्द्र को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के बारे में पता है और उन पीडि़त परिवारों के मुआवजे के लिए क्या कदम उठाए गए. इसके साथ ही पूछा गया कि क्या सरकार के पास इस बात के कोई साक्ष्य हैं कि आंदोलन में आंतकियों ने घुसपैठ की है.
इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को संसद से निचली सदन में जवाब देते हुए कहा कि पुलिस और लोक व्यवस्था भारतीय संविधान की सातवीं सूची के मुताबिक राज्य का विषय है. उन्होंने कहा कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वे कानून-व्यवस्था बरकरार रखे, जिनमें जांच, अपराध दर्ज करने, दोषियों को सजा और जान-माल की रक्षा शामिल है. नित्यानंद राय ने कहा कि केन्द्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से संगठन और अन्य लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए रखा जो राष्ट्र सुरक्षा के लिए जरूरी था. जब भी जरूरी हुआ आवश्यक कदम कानून के मुताबिक उठाए गए.
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि सितंबर-दिसंबर, 2020 के बीच प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रहे और कोविड-19 महामारी के बीच बिना मास्क के बड़ी संख्या में एकत्र हुए.
रेड्डी ने कहा, ”जहां तक दिल्ली का सवाल है तो पुलिस ने सूचित किया है कि सितंबर-दिसंबर, 2020 के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए.” मंत्री के बयान से यह भी स्पष्ट है कि ये 39 मामले 26 जनवरी को हुई किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में दर्ज मामलों से अलग हैं. रेड्डी ने बताया कि दिल्ली पुलिस की ओर से सूचित किया गया है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान आत्महत्या का एक मामला दर्ज किया गया.

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