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खेती व्यापार नहीं, लक्ष्मीपूजन का साधन है

सरसंघ चालक मोहन भागवत का प्रतिपादन

जयपुर./दि.७ – खेती यह व्यापार नहीं है बल्कि लक्ष्मीपूजन का साधन है. ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने व्यक्त किया. वे मंगलवार को राजस्थान के कोटा में भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक स्व. दत्तोपंत ठेंगडी की १०० वीं जयंती के अवसर पर बोल रहे थे. उपस्थितों को संबोधित करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने आगे कहा कि, कोरोना महामारी में संपूर्ण विश्व भारतीय जीवन शैली मूल तत्व का अंगीकार कर रहा है. सेंद्रीय खाद योजना भारतीयों ने तैयार की है. ५० वर्ष पूर्व केंद्र ने उसका स्वीकार नहीं किया. किंतु आज विश्व के सामने दूसरा पर्याय नहीं है.
पिछले सात महीनों के कोरोना काल में संपूर्ण विश्व भारतीय विचार धारा की ओर अग्रसर हो रहा है. इस समय संघचालक मोहन भागवत का स्व. दत्तोपंत ठेंगडी की दूर दृष्टि व उनके कार्य का भी बखान करते हुए कहा कि भारत में खेती यह व्यापार का विषय नहीं था. किंंतु लोंगों का एक समुह व्यापार के लिए दूसरे समुहों का शोषण कर रहा है. संपूर्ण विश्व का पालन-पोषण करने के लिए खेती की अत्यंत आवश्यता है. देश के पास १० हजार वर्षो का अनुभव है जिसमें हमें विदेशियों की पर्यावरण विरोधी पद्धति की आवश्यता नही है. खेती हमारे लिए लक्ष्मी पूजन का साधन है. ऐसा सरसंघचालक मोहन भागवत न स्पष्ट किया.

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