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किसी भी पुलिस थाने में महिला अत्याचारों को लेकर दर्ज हो सकेगी ‘जीरो एफआईआर‘

  • महिला अत्याचारों के लगातार बढते मामलों के चलते केंद्रीय गृह मंत्रालय आया ए्नशन में

  • महिलाओं की शिकायतें दर्ज करने से टालमटोल करने पर अधिकारी-कर्मचारी होंगे दंडित

नई दिल्ली/दि.१०  – इस समय हाथरस में घटित कथित बलात्कार व पीडिता की मौत के बाद संबंधित परिवार के साथ पुलिस द्वारा किये गये व्यवहार की वजह से समूचे देश में हंगामा मचा हुआ है. साथ ही उत्तर प्रदेश के बाद अब झारखंड में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है. ऐसे में इस तरह के मामलों को बेहद गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकारने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सभी राज्योें एवं केंद्र शासित प्रदेशों हेतु नये मार्गदर्शक दिशानिर्देश जारी किये है. जिनमें कहा गया है कि, महिलाओं से संबंधित अपराधिक मामलों में पुलिस को अनिवार्य तौर कार्रवाई करनी ही होगी. यदि ऐसे अपराध पुलिस थाना क्षेत्र के बाहर भी घटित हुए है, तो उस स्थिति में भी जीरो एफआईआर दर्ज की जाये, और यदि किसी पुलिस स्टेशन के किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा महिलाओं के खिलाफ घटित अपराध में एफआईआर दर्ज करने से टालमटोल की जाती है, तो उन्हें आयपीसी की धारा १६६ ए (सी) के तहत दंडित किया जायेगा.
केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाईजरी में कहा है कि, सीआरपीसी की धारा १७३ के अनुसार बलात्कार से संबंधित मामलों में दो माह के भीतर जांच पूर्ण करने का प्रावधान है. इस हेतु गृह मंत्रालय ने एक ऑनलाईन पोर्टल भी बनाया है. जहां ऐसे मामलों की मॉनीटरींग हो सकती है. इस पोर्टल का नाम इन्वेस्टीगेशन ट्रैकींग सिस्टीम फॉर से्नस्यूअल ऑॅफेंसेस है. इसी तरह सीआरपीसी की धारा १६४ के अनुसार बलात्कार अथवा लैंगीक अत्याचार के मामले में सुचना मिलने के बाद २४ घंटे के भीतर पीडिता की सहमति से किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा उसकी जांच करवायी जायेगी. साथ ही इंडियन एवीडन्स एक्ट की धारा ३२ (१) के अनुसार मृतक व्यक्ति के मृत्यु पूर्व बयान को जांच में महत्वपूर्ण माना जायेगा. इसी तरह फॉरेन्सीक सायन्स सर्विसेस डाईरेक्टरेट ने फॉरेन्सीक सबूत संकलित व संग्रहित करने के लिए गाईडलाईन बनायी है. जिसका पालन करना ही बेहद आवश्यक है. पुलिस महकमे द्वारा यदि इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता है, तो पीडित पक्ष को न्याय नहीं मिल सकता. अत: यदि ऐसे मामलों में कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी लापरवाही बरतने का दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कडी कार्रवाई की जाये.

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