बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के कैंप में लगी भीषण आग,
सैकड़ों शिविर जलकर हुए खाक, हजारों लोग
ढाका/दि.२२- बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में स्थित रोहिंग्या शरणार्थियों के कैंप में सोमवार को भीषण आग लग गई, जिससे सैकड़ों शिविर जलकर खाक हो गए हैं. जिसके कारण हजारों लोगों को बेघर होने पर मजबूर होना पड़ा है. इस बात की जानकारी अधिकारियों और गवाहों ने दी है. ये आग कॉक्स बाजार जिले के बालुखली कैंप में शाम के समय लगी है. आग ने तेजी से फैलते हुए कम से कम चार ब्लॉक्स को अपनी चपेट में ले लिया.
सरकार के शरणार्थी, राहत और प्रत्यावर्तन आयोग के अतिरिक्त आयुक्त मोहम्मद शमसुद दौजा ने जानकारी दी है कि दमकलर्मियों की कम से कम चार यूनिट आग को काबू करने की कोशिश कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता लूसी दोनोवन का कहना है कि घटना की जानकारी मिलते ही दमकलकर्मी, राहत एवं बचाव टीम और स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंच गए थे. उन्होंने कहा, ‘अभी तक आग ने शिविरों, स्वास्थ्य केंद्रों, वितरण इकाई और अन्य स्थानों को अपनी चपेट में लिया है. स्वयंसेवक प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं. आग तेजी से फैलती गई
अभी तक किसी शरणार्थी की मौत की खबर नहीं आई है लेकिन ऐसा डर है कि लोगों की मौत हो सकती है और वह घायल भी हो सकते हैं. क्योंकि आग बहुत अधिक लगी है. दो शरणार्थियों ने बताया है कि आग तेजी से फैलती चली गई और रात में भी जारी रही. इस घटना के कई वीडियो और तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आए हैं. जिसमें धुएं का बड़ा गुबार देखा जा सकता है, जिससे आसमान काला नजर आ रहा है. इसके साथ ही तस्वीर में बड़ी संख्या में लोग आग को देखते हुए भी नजर आ रहे हैं.
म्यांमार से भागकर आए थे रोहिंग्या
बांग्लादेश इस समय लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों का घर है. इनमें बड़ी संख्या में लोग साल 2017 में म्यांमार से भागकर यहां आए थे. तब वहां की सेना ने इनके साथ खूब अत्याचार किया था. रोहिंग्याओं का नरसंहार किया गया, इनके घरों को आग लगा दी गई और महिलाओं के साथ बलात्कार की खबरें भी सामने आई थीं. सेना से बचने के लिए ये लोग म्यांमार से भागकर उसके पड़ोसी देशों में जाकर रहने लगे. बंग्लादेश ने इन लोगों के रहने के लिए यहां शिविरों की व्यवस्था की है लेकिन वह चाहता है कि ये लोग अपने देश म्यांमार वापस लौट जाएं. संयुक्त समझौते के तहत प्रत्यावर्तन के कई प्रयास सफल नहीं हो पाए है क्योंकि रोहिंग्या शरणार्थियों ने सेना के डर से वापस लौटने से इनकार कर दिया है.