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८ जनवरी से ब्रिटेन से शुरू होगी फ्लाइट

  • यात्रियों को बतानी होगी ट्रैवल हिस्ट्री, भरना होगा फॉर्म

  • एसओपी किया गया जारी

नई दिल्ली/दि.२ – यूके कोविड स्ट्रेन के बाद निलंबित की गई ब्रिटेन से हवाई सेवा को 8 जनवरी से फिर से शुरू करने के निर्देश भारत सरकार ने दिए हैं. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है. 8 जनवरी से लेकर 30 जनवरी के बीच इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यह स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर लागू होंगे. इसके तहत नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) इस बात को सख्ती से मॉनिटर करेगा कि कोई भी यात्री किसी तीसरे देश से यूके और फिर इंडिया के लिए यात्रा ना करे. इसका मतलब यूके से भारत आने वाला कोई यात्री किसी तीसरे देश के जरिए नहीं आएगा. निर्देश में कहा गया है कि इससे यह स्पष्ट होगा कि अमुक व्यक्ति यूके से आ रहा है और उसके साथ उसी तरह से ट्रीटमेंट किया जाए. स्शक्क के मुताबिक, सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को पिछले 14 दिन की ट्रैवल हिस्ट्री बतानी होगी और सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा. सभी यात्रियों को www.newdelhiairport.in पर यात्रा करने से 72 घंटे पहले सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य होगा. इसके अलावा स्शक्क के मुताबिक यूके से भारत आने वाले सभी यात्रियों को नेगेटिव आरटी पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट जो पिछले 72 घंटे में करवाई गई हो ,साथ लाना अनिवार्य होगा. यह रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर भी अपलोड करनी होगी. सभी एयरलाइंस को यह बात सुनिश्चित करनी होगी कि फ्लाइट बोर्ड करने से पहले यात्री के पास नेगेटिव आरटी पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट है. सभी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट के जरिए यूके से भारत आने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट पर आरटी पीसीआर टेस्ट कराना अनिवार्य होगा. एयरपोर्ट पर होने वाले RT-PCR टेस्ट का खर्चा भी यात्रियों को ही उठाना होगा. आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने के बाद यात्रियों के आइसोलेशन/वेटिंग के लिए इंतजाम करने की जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी की होगी. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एयरपोर्ट पर हेल्प डेस्क फैसिलिटी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. टेस्ट में संक्रमित पाए जाने वाले यात्रियों को आइसोलेट करने के लिए पार्टी द्वारा तैयार स्टेट हेल्थ अथॉरिटी द्वारा तैयार एक अलग आइसोलेशन फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाएगा. अगर यात्री जीनोम सीक्वेंसिंग में यूके का नया स्ट्रेन पाया जाता है तो उन्हें एक अलग आइसोलेशन यूनिट में ही रखा जाएगा और प्रोटोकॉल के तहत ट्रीटमेंट दिया जाएगा. ऐसे मरीजों का 14 दिन बाद RT-PCR टेस्ट किया जाएगा और अगर वह उस समय पॉजिटिव पाया गया तो फिर जब तक लगातार दो बार आरटी पीसीआर टेस्ट नेगेटिव नहीं आता तब तक मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा.

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