नई दिल्ली/दि. 27 – भारत में नए डिजिटल नियमों पर विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों का मिलाजुला जवाब देखने को मिला है. इनमें से एक ट्विटर ने अपने जवाब से भारत सरकार को संतुष्ट नहीं किया है. भारत सरकार ने आज ट्विटर द्वारा दिए गए बयान में किए गए दावों का विरोध किया. ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने अपने बयान में कहा, ”भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. भारत में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करना केवल एक निजी व्यक्ति का विशेषाधिकार नहीं है. लाभ के लिए ट्विटर जैसी विदेशी संस्था इससे खिलवाड़ कर रही हैं.” आईटी मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर का बयान दुनिया के सबसे बड़े लोगों पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है. भारत की कानूनी प्रणाली को ट्विटर अपने कार्य करने के तरीके से जानबूझकर प्रभावित करना चाहता है. इसके अलावा ट्विटर मध्यस्थ दिशानिर्देशों में उन्हीं नियमों का पालन करने से इनकार कर रहा है. जिनके आधार पर वह भारत में किसी भी आपराधिक दायित्व से सुरक्षित रह सकता है. बड़ा सवाल यह है कि अगर ट्विटर इतना प्रतिबद्ध है, तो उसने भारत में अपने दम पर ऐसा तंत्र क्यों नहीं स्थापित किया?
भारत में ट्विटर के प्रतिनिधि नियमित रूप से दावा करते हैं कि उनके पास कोई अधिकार नहीं है. ट्विटर से संबंधित किसी भी चीज के लिए भारत के लोगों को अमेरिका में ट्विटर मुख्यालय से संपर्क करना होगा. आईटी मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर की भारतीय यूजर्स के प्रति प्रतिबद्धता खोखली लगती है, बल्कि पूरी तरह से स्वार्थ हित वाली लगती है. भारत में ट्विटर का एक बड़ा उपयोगकर्ता आधार है, ट्विटर अपने भारतीय संचालन से महत्वपूर्ण राजस्व अर्जित करता है. इसके बावजूद भी भारतीय यूजर्स की शिकायतों के निवारण के लिए अधिकारी और तंत्र, मुख्य अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी को नियुक्त करने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा. नियम आम उपयोगकर्ताओं को अधिकार देते हैं.. जो मानहानि, विकृत छवियों, यौन शोषण और कानून के उल्लंघन में अन्य अपमानजनक सामग्री के खिलाफ उनकी शिकायतों के निवारण का जरिया बनते हैं. आईटी मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों सहित व्यापक संभव परामर्श के बाद भारत में इन नए डिजिटल नियमों को अंतिम रूप दिया गया. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने नियमों के मसौदे को सार्वजनिक डोमेन में रखा और लोगों से इसपर प्रतिक्रिया की अपील की. इसपर मंत्रालय को व्यक्तियों, नागरिक समाज, उद्योग संघों और संगठनों से बड़ी संख्या में प्रतिक्रिया मिली. इन सभी प्रतिक्रियाओं पर भी भारी संख्या में लोगों ने अपनी राय रखी. भारत के सर्वोच्च न्यायालय सहित विभिन्न न्यायालयों द्वारा सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने वाले विभिन्न न्यायिक आदेश भी हैं. उचित उपाय करने के लिए कई संसदीय बहस और सिफारिशें भी हैं. स्पीच और अभिव्यक्ति की आजादी भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है. भारत सरकार लोगों के सवाल पूछने के अधिकार का सम्मान करती है और ट्विटर सहित इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आलोचना भी करती है. सरकार निजता के अधिकार का समान रूप से सम्मान करती है. हालांकि, ट्विटर पर अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का एकमात्र उदाहरण स्वयं ट्विटर और इसकी अपारदर्शी नीतियां हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के खाते निलंबित कर दिए जाते हैं और ट्वीट्स को बिना सोचे समझे हटा दिया जाता है.