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47 साल में पहली बार दिल्ली की सबसे बड़ी दुर्गा पूजा समिति में नहीं लगेंंगे पंडाल

नई दिल्ली/दि.१९ – कोरोना महामारी के चलते दुर्गोत्सव का माहौल इस साल फीका है. देश में कई स्थानों पर दुर्गा उत्सव के पंडाल लगे हैं लेकिन वह रौनक नहीं है जो पहले हुआ करती थी. कई दुर्गोत्सव समितियों ने कोरोना महामारी के चलते दुर्गा उत्सव पर पंडाल नहीं लगाने का फैसला किया है. राजधानी दिल्ली का सबसे बड़ा दुर्गा पंडाल लगाने वाले चितरंजन काली मंदिर सोसाइटी सहित करीब 50 सोसाइटियों ने कोविड-19 चलते इस बार फेस्टिवल समारोहपूर्वक नहीं मनाने का फैसला किया है. 47 वर्षों में यह पहला मौका हे जब दक्षिण दिल्ली की इस सोसाइटी ने वार्षिक दुर्गोत्सव को वृहद स्तर पर नहीं मनाने को निर्णय लिया है. सोमवार को इस बारे में निर्णय 12 ऐसी समितियों की स्थानीय प्रशासन के साथ हुई बैठक में लिया गया. हर साल यहां करीब 50 पूजा पंडाल बनते हैं. इस बात को ध्यान में रखा गया कि क्षेत्र में आबादी का एक बड़ा वर्ग, विशेष रूप से आयोजित समिति के कई सदस्य बुजुर्ग (सीनियर सिटीजन) है और उनके कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का खतरा ज्यादा है. अन्य छोटी समितियों ने भी इस फैसले का अनुसरण करने का फैसला किया है. गौरतलब है कि चितरंजन पार्क धूमधाम के साथ दुर्गा पूजा मनाने के लिए मशहूर है. यहां पर विभिन्न रूपों में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाती थी और इन्हें देखने और फूड फेस्टिवल का मजा लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी. चितरंजन पार्क काली मंदिर सोसाइटी की ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिता हलदर ने कहा, इस बार सब कुछ छोटे स्तर पर…और ऐहतियातों के साथ होगा. यहां तक कि प्रतिमा भी इस बार 16 फीट के बजाय केवल पांच फीट की होगी. उन्होंने बताया, विसर्जन भी बड़े स्तर के बजाय इस बार मंदिर परिसर में होगा. कोविड टेस्ट के ही सभी कार्यकर्ता और कमेटी मेंबर मंदिर में प्रवेश करेंगे.

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