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सार्वजनिक तौर पर बोलने को मजबूर हूं

बिहार में कांग्रेस की करारी हार के बाद बोले सिब्बल

नई दिल्ली/दि.१६- बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विपक्षी महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी के तौर पर उभरने के पार्टी के शीर्ष नेता ने सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया दी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए पार्टी में अनुभवी ज्ञान रखने वाला, सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की है. पार्टी नेतृत्व पर बिना लागलपेट के आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा कि आत्मचिंतन का समय खत्म हो गया है. कपिल सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं. संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है. साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे. सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस के निराशानजक प्रदर्शन पर सिब्बल ने कहा, जिन राज्यों में सत्तापक्ष का विकल्प हैं, वहां भी जनता ने कांग्रेस के प्रति उस स्तर का विश्वास नहीं जताया, जितना होना चाहिए था. लिहाजा आत्मचिंतन का वक्त खत्म हो चुका है. हम उत्तर जानते हैं. कांग्रेस में इतना साहस और इच्छा होनी चाहिए कि सच्चाई को स्वीकार करे. सिब्बल पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अगस्त में पार्टी नेतृत्व को विरोध पत्र लिखा था. इसको लेकर पार्टी के भीतर काफी घमासान मचा था. हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं दिखा, बल्कि पत्र लिखने वाले नेताओं का कद कम कर दिया गया.
सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा, पार्टी के भीतर तब से कोई संवाद नहीं हुआ है औऱ पार्टी नेतृत्व की ओर से संवाद के लिए कोई प्रयास भी होते नहीं दिख रहा है और मेरे लिए अपनी राय अभिव्यक्त करने का कोई मंच भी नहीं है तो मैं अपनी बात सार्वजनिक तौर पर रखने के लिए विवश हूं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैं कांग्रेसी हूं और हमेशा रहूंगा औऱ मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस सत्ता के उस मौजूदा स्वरूप का विकल्प प्रदान करेगी, जिसने देश के सभी मूल्यों को तिलांजलि दे दी है.
पार्टी की बेहतरी से जुड़े उपायों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, सबसे पहले तो हमें संवाद की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. हमें गठबंधन की जरूरत है और हमें जनता तक पहुंचने की भी आवश्यकता है. हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि जनता हमारे पास तक आएगी. हम उस तरह की ताकत नहीं रहे, जैसे कि कभी हुआ करते थे. हमें उन लोगों तक पहुंच बनानी होगी, जिन्हें राजनीतिक अनुभव है. लेकिन इस कवायद के लिए सबसे पहले विचार-विमर्श करना जरूरी है.
पार्टी नेतृत्व द्वारा बिहार में पराजय को हमेशा की तरह सामान्य बात मानने के सवाल पर सिब्बल ने कहा, मैंने ऐसा कुछ नहीं सुना है कि पार्टी नेतृत्व ने मुझे कुछ कहा है. मैं इस बारे में नहीं जानता. मैं केवल उन आवाजों को सुनता हूं जिन्होंने पार्टी नेतृत्व को घेर रखा है. हमें बिहार या एमपी-गुजरात के उपचुनाव को लेकर अभी भी कांग्रेस पार्टी की ओर से अपनी राय रखे जाने का इंतजार है. हो सकता है कि उन्हें लगता हो कि सब कुछ सही चल रहा है और इसे हमेशा की तरह एक सामान्य घटना माना जा रहा हो.
बिहार चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं और वह बहुमत से दर्जन भर सीटों से पीछे रह गई. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हालांकि 70 सीटों पर लडऩे वाली कांग्रेस महज 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के लचर प्रदर्शन के कारण विपक्षी महागठबंधन सत्ता तक नहीं पहुंच सका. यहां तक कि छोटे वामदलों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. राजद नेता शिवानंद तिवारी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कांग्रेस को महागठबंधन पर बोझ बताया था. तिवारी ने कहा, उन्होंने 70 प्रत्याशी उतारे, लेकिन इतनी भी रैलियां चुनाव प्रचार के दौरान नहीं कीं. राहुल गांधी महज तीन दिनों के लिए प्रचार में आए और प्रियंका गांधी नहीं आईं. जिन लोगों को बिहार चुनाव की कोई जानकारी नहीं थी. उन्हें प्रचार के लिए भेजा गया. यह सही नहीं है. तिवारी ने कहा, चुनाव प्रचार जब अपने चरम पर था, तब राहुल गांधी शिमला में प्रियंका के घर पर पिकनिक कर रहे थे, पार्टी को क्या ऐसे चलाया जाता है.

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