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कृषि शिक्षा में बदलाव लाने की तैयारी में सरकार

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सैकड़ों विद्वानों के साथ किया विचार-विमर्श

नई दिल्ली/दि.२७–  नई शिक्षा नीति के तहत कृषि शिक्षा (Agriculture Education) में भी बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है. इसमें अनुभव और व्यवहारिक ट्रेनिंग को बढ़ाया जा सकता है. विद्यार्थियों के लिए उद्यमिता विकास और व्यवसाय प्रबंधन पर जोर होगा. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसे लेकर देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं कृषि शिक्षा से जुड़े सैकड़ों विद्वानों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया है. मंत्री ने इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) को एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने को कहा है, जो इस बारे में अपनी सिफारिशें देगी.
तोमर ने कहा कि नए युग के साथ हमें भी अपनी नीतियों-नियमों में परिवर्तन करते रहना चाहिए. कृषि का क्षेत्र महत्वपूर्ण व विविधताओं से परिपूर्ण है. यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी खास है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी कृषि क्षेत्र में रोजगार पाती है. उत्पादन की दृष्टि से भी यह सबसे बड़ा क्षेत्र है, इसलिए इसे उन्नत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति का समावेश कैसे हो सकता है, शिक्षाविदों के साथ यह विचार-विमर्श हो रहा है.
तोमर ने कहा कि प्राकृतिक प्रतिकूलता पर किसानों (Farmers) को मुश्किलें आती हैं, इसलिए भी आवश्यक है कि कृषि शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम जोड़े जाएं. ताकि नई पीढ़ी कृषि क्षेत्र को टेक्नोलॉजी से जोडऩे में कामयाब हो सके. मुनाफे के साथ कृषि क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बन सके. पीएम भी चाहते हैं डिजिटलाइजेशन का लाभ मिले. अब नई शिक्षा नीति (New Education Policy) में कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने वाले बिंदुओं को पहचान कर समावेश करें. एक समिति बनाकर सुझाव लेकर निष्कर्ष दें, ताकि कृषि शिक्षा के संस्थान बेहतर काम कर सकें. बता दें कि आईसीएआर के अधीन तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित 117 रिसर्च इंस्टीट्यूट हैं.
तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कानूनी रिफार्म्स की जरूरत महसूस हुई तो पीएम दो नए अध्यादेश लाए, जिनके कारण किसान अब अपनी उपज मनचाही कीमत और मनचाहे स्थान पर बेच सकते हैं, जिसमें मंडी के बाहर उन्हें टैक्स भी नहीं लगेगा. इसी तरह, कांट्रैक्ट फार्मिंग की बातें तो बहुत की जाती थीं लेकिन मोदी सरकार ने इसे अमलीजामा पहनाया. उपज बिक्री व लाभ-हानि के संबंध में किसानों का भय दूर किया. अब निजी निवेश गांवों-खेतों तक पहुंचेगा.

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