देश दुनिया

सेविंग पर ब्याज कटौती से यूटर्न पर सरकार की सफाई

गलती से जारी हो गया आदेश!

नई दिल्ली/दि.१ – मोदी सरकार को 24 घंटे से भी कम टाइम में एक बड़ा फैसला वापस लेना पड़ा है. सरकार ने छोटी जमा योजनाओं के ब्याज दर में कटौती के फैसले को वापस ले लिया है. हैरानी की बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ब्याज में कटौती का आदेश गलती से जारी हो गया था. इस पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया आई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को सुबह-सुबह ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी दी. इससे लोगों को काफी हैरानी हुई है और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया भी आई है. सबसे ज्यादा आपत्ति विपक्ष को वित्त मंत्री के उस बयान पर है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह आदेश गलती से जारी हो गया था.
असल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ट्वीट कर जब यह जानकारी दी तो उसमें उन्होंने कहा कि ब्याज में कटौती का आदेश गलती से जारी हो गया था.
वित्त मंत्री ने ट्वीटकर कहा, भारत सरकार की छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें वहीं रहेंगी जो वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में थीं. गलती से जारी हुआ आदेश वापस ले लिया गया है. वित्त मंत्री के इसी गलती या गफलत शब्द पर विपक्ष को हमला करने का मौका मिल गया है.

  • विपक्ष का हमला

सरकार ने जिस तरह से यह फैसला वापस लिया उससे विपक्षी दलों को हमले का एक और मौका मिल गया. विपक्षी दल इसे मोदी सरकार की असंवेदनशीलता बता रहे हैं.
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा, अगली तिमाही के लिए बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का ऐलान एक नियमित चलन है. सरकार के 31 मार्च के रिलीज में कुछ भी गफलत में नहीं हुआ है. बीजेपी सरकार ने ब्याज में कटौती कर मध्य वर्ग को एक और चोट पहुंचाने का निर्णय लिया था. पकड़े जाने पर वित्त मंत्री इसे चूक बता रही हैं.
उन्होंने कहा कि जब महंगाई 6 फीसदी के करीब है और इसके बढ़ने की ही आशंका है, सरकार 6 फीसदी से कम ब्याज की पेशकश कर मध्यम वर्ग के पेट के नीचे वार कर रही है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने आजतक-इंडिया टुडे से कहा, % नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार करोड़ों छोटे बचतकर्ताओं के ब्याज को इतना मामूली बात समझती है कि ब्याज दरों कटौती के नोटिफिकेशन को गफलत में जारी कर दिया जाता है. यह सरकार की संवदेनशीलता का स्तर है. वह करोड़ों जनता का पूरी तरह से असम्मान करती है. यह इस बात का एक और संकेत है कि यह सरकार अमीरों की और अमीरों के लिए है.
चुनाव की चिंता!
इस खबर के आते ही यह चर्चा चल पड़ी कि इसका बंगाल में गुरुवार को हो रहे दूसरे चरण के चुनाव पर असर पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को चिंता थी कि बंगाल में खासकर उसके समर्थन पर काफी असर पड़ सकता है, क्योंकि वहां के लोगों में छोटी बचत योजनाएं काफी लोकप्रिय हैं. सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाकर 4 से 3.5 फीसदी करने का ऐलान किया था.
इसके साथ ही एक वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक की छोटी बचत योजनाओं पर भी ब्याज दर में कटौती की गई थी. पांच वर्ष तक की रिकरिंग डिपॉजिट योजना पर ब्याज दर 5.8 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी कर दी गई थी. पीएम मोदी की पसंद सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर को 7.6 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी करने का ऐलान किया गया था.
इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर ब्याज दर को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी करने का ऐलान किया गया था. इसी प्रकार से राष्ट्रीय बचत पत्र, किसान विकास पत्र पर भी ब्याज दर घटाई गई थी. पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर को 7.1 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी सालाना कर दिया गया था.
तय थी कटौती!
जानकारों का कहना है कि यह कटौती होनी तय थी, क्योंकि बैंकों की ब्याज और लोन दरें काफी घट गई हैं. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, बैंक और अन्यवित्तीय संस्थाओं ने बचत और एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर दी है. इसलिए बाकी ब्याज दरों को इसके अनुरूप लाना ही होगा.

Related Articles

Back to top button