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सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका

2011 की जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की याचिका खारिज

नई दिल्ली/दी १५-महाराष्ट्र में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर उद्धव ठाकरे सरकार को झटका लगा है. राज्य चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि स्थानीय निकाय में 27 प्रतिशत सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में अधिसूचित किया जाए. अभी तक यह सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के लिए रिजर्व थीं. महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू करने के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के आंकड़े मांगे थे.पिछले कुछ दिनों से राज्य की सियासत में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गर्माता नजर आ रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने एक याचिका में मांग की थी कि शीर्ष अदालत को केंद्र सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार को जरूरी डेटा प्रदान करे. लेकिन बुधवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया. ओबीसी आरक्षण याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने को महाराष्ट्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

केंद्र ने कहा डेटा किसी काम का नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए ट्रिपल टेस्ट पूरा करना चाहिए. इसका मतलब यह नहीं है कि केंद्र को राज्यों को अनुपयोगी डेटा उपलब्ध कराने का आदेश दिया जाए. क्योंकि केंद्र के मुताबिक वह डेटा किसी काम का नहीं है. इसलिए, याचिका खारिज की जा रही है.”

शीर्ष अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को सामान्य वर्ग के रूप में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों के लिए एक नई अधिसूचना जारी करने और शेष 73 प्रतिशत के साथ उनके लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया. याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि SECC-2011 पिछड़े वर्गों के आंकड़ों की गणना करने के लिए नहीं थी. केंद्र ने यह भी कहा कि SECC-2011 जनगणना अधिनियम 1948 के तहत नहीं की गई.

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