नई दिल्ली/दि.5 – भारत में हर 7 में से एक किशोर को डिप्रेशन है. लेकिन भारत में बच्चे अपनी मानसिक परेशानियों को लेकर मदद लेने के बारे में नहीं सोचते. डिप्रेशन और दूसरी मानसिक बीमारियों के शिकार आधे में से भी कम बच्चों को लगता है कि उन्हें इलाज की जरूरत है. ये जानकारी आज यूनिसेफ ने बच्चों की मानसिक सेहत पर जारी रिपोर्ट में दी. The State of the World’s Children 2021- On My Mind को आज जारी किया गया.
-
21 देशों के 20 हजार बच्चों पर हुआ सर्वे
भारत में 15 से 24 वर्ष के 41 प्रतिशत बच्चों ने मानसिक बीमारी के लिए मदद लेने की बात कही लेकिन 21 देशों में करीब 83 प्रतिशत बच्चे इस बात को लेकर जागरूक दिखे कि मानसिक परेशानियों के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए. मानसिक परेशानी के हल के लिए भारतीय किशोर और युवा ही सबसे कम मदद मांगने को लेकर जागरूक दिखे. बाकी देशों में 56 से 95 प्रतिशत किशोरों और युवाओं ने माना कि मन की परेशानियों के लिए मदद की जरूरत होती है.
स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रन 2021 (The State of the World’s Children 2021) के मुताबिक, 15 से 24 वर्ष के 14 प्रतिशत युवा डिप्रेशन से गुजर रहे हैं. जापान और इथोपिया जैसे देशों में जहां हर 10 में से 1 बच्चे को डिप्रेशन है तो वहीं भारत में हर 7 में से एक बच्चा डिप्रेशन का शिकार है. 21 देशों के औसत के हिसाब से हर पांच में से एक बच्चे को डिप्रेशन है.