देश दुनिया

बजट से कॉरपोरेट जगत में खुशी

मीडिल क्लास के लिए बजट में कुछ भी खास नहीं

नई दिल्ली/दि.१ – देश की अर्थमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से कॉरपोरेट जगत खुश है, वहीं शेयर बाजार भी बमबम है, लेकिन मध्यम वर्ग को कुछ खास नहीं मिला है. व्यक्तिगत आयकर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, सबसे ज्यादा 80 सी में बदलाव की मांग की जा रही थी, लेकिन उसमें भी कुछ नहीं किया गया है. हालांकि छोटे निवेशकों को राहत देने के लिए कुछ ऐलान किये गए हैं.
टैक्स के मामले में सिर्फ ये प्रमुख ऐलान दिख रहा है कि 75 साल या उससे ऊपर के सीनियर सिटीजन को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी. यह सिर्फ उन लोगों के लिए होगा जिनकी सिर्फ पेंशन और ब्याज से आय होती है.
वित्त मंत्री ने कहा कि किसी बैंक के डूबने पर जमाकर्ताओं से समय से और आसानी से पैसा वापस मिल जाए इसके लिए संशोधित व्यवस्था बनाई जाएगी. गौरतलब है कि पिछले साल के बजट में बैंक जमा पर बीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया गया था. इसका मतलब यह है कि किसी बैंक के डूबने पर जमाकर्ताओं को अधिकतम 5 लाख रुपये वापस मिलेंगे.

ई-कॉमर्स कर्मचारियों को भी एलआईसी का फायदा

वित्त मंत्री ने कहा कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत लाया जाएगा. इसका मतलब है कि फ्रीलांस वर्क करने वाले और ई-कॉमर्स कंपनियों के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिल सकता है.

फेसलेस एसेसमेंट में और राहत

सरकार ने फेसलेस असेसमेंट में और तेजी लाने के लिए कहा है कि इसके लिए एक डिस्प्यूट रील्यूशन कमिटी बनाई जाएगी. जिन लोगों की टैक्सेबल इनकम 50 लाख रुपये और डिस्प्यूट इनकम 10 लाख रुपये तक है वे इस कमिटी में संपर्क कर सकते हैं.
वित्तीय उत्पादों के की बिक्री में धोखाधड़ी को कम से कम करने के लिए वित्त मंत्री ने एक इनवेस्टमेंट चार्टर बनाने का ऐलान किया है. इस चार्टर का फायदा सभी तरह के वित्तीय उत्पादों के निवेशकों को मिलेगा. इसके तहत निवेशक धोखाधड़ी के बारे में शिकायत कर सकेंगे और उन्हें जल्द समाधान देने की कोशिश की जाएगी.

होम लोन के ब्याज पर राहत को आगे बढ़ाया गया

सरकार ने सबको किफायती मकान देने के अभ?ियान को और तेजी देते हुए इसके लिए मिलने वाले हाउिसंग लोन ब्याज छूट को 21 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है. यह फायदा उन लोगों को मिलेगा जो 31 मार्च, 2022 तक किफायती मकान खरीदेंगे.

जीरो कूपन बॉन्ड

वित्त मंत्री ने छोटे निवेशकों के लिए निवेश के लिए एक नए साधन जीरो कूपन बॉन्ड लाने का ऐलान किया है. टैक्स बचत करने वाले इन बॉन्ड से सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च के लिए रकम जुटाने में मदद मिलेगी. कोरोना संकट में नौकरियां चले जाने या सैलरी कटौती से मध्यम वर्ग काफी परेशान हुआ है. सरकार ने जो करीब 30 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज पिछले साल दिए उसमें से मध्यम वर्ग को कुछ खास नहीं मिला. इसलिए अब मध्यम वर्ग को बजट से काफी उम्मीदें थीं.
कई साल से यह मांग की जा रही थी कि बेसिक टैक्स छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर देनी चाहिए. सरकार ने साल 2019-20 के बजट में 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 12,500 की विशेष छूट देकर 5 लाख तक की आय को करमुक्त करने की कोशिश की है, लेकिन स्थायी रूप से 5 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त करने की मांग की जा रही थी. लेकिन इस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं किया.
स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट- एक और मांग यह की जा रही थी कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया जाए. अभी तक ऐसा डिडक्शन 50 हजार रुपये तक का मिलता है. इसे बढ़ाकर कम से कम 75,000 रुपये करने की मांग की जा रही थी. जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से लोगों ने काफी मुश्किलों का सामना किया है. महंगाई की वजह से इलाज के खर्चे काफी बढ़ गए हैं और वर्क फ्रॉम होम करने की वजह से नौकरीपेशा लोगों का बिजली और अन्य यूटिलिटी पर खर्च लागत काफी बढ़ गया है. लेकिन इस पर भी कुछ नहींं किया गया.
इसी तरह आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 1.5 से 3 लाख रुपये तक करने की मांग की जा रही थी, लेकिन इसमें भी कुछ नहीं हुआ.

 वर्क फ्रॉम होम वालों को नहीं मिला फायदा

कोरोना संकट के बीच वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल बन गया है. इसकी वजह से तमाम नौकरीपेशा लोगों का खर्च बढ़ गया है.जानकार कहते हैं कि कर्मचारियों के अतिरिक्त खर्चों को बहुत सी कंपनियों ने रीइम्बर्स किया है, लेकिन ऐसे रीइम्बर्समेंट पर टैक्स लगता है. इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि ऐसे रीबेट यानी डिडक्शन की व्यवस्था की जाएगी ताकि ऐसे खर्चों पर टैक्स की बचत हो सके. इस पर भी कुछ नहीं हुआ.

होम लोन पर अतिरिक्त टैक्स राहत-

होम लोन पर मिलने वाले टैक्स छूट का दायरा बढ़ाने की भी मांग की जा रही थी. आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की सीमा में होम लोन का मूलधन आता है. इस सीमा को बढ़ाने की मांग थी. इसी तरह धारा 24 बी के तहत 2 लाख रुपये के ब्याज भुगतान पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है, इसे भी बढ़ाए जाने की मांग थी. इस पर कुछ नहीं हुआ बस किफायती मकान पर ब्याज सब्सीडी को एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया.

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट:

कोरोना महामारी ने हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व लोगों को समझा दिया है और इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है. बहुत सी कंपनियां अनिवार्य रूप से अपने कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर देती हैं. आयकर की धारा 80 डी के मुताबिक सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति के अपने और परिवार के लिए 50 हजार रुपये तक के प्रीमियम को टैक्स फ्री रखा जाता है.
पेरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं तो यह 75 हजार और सभी सीनियर सिटीजन हैं तो अधिकतम 1 लाख रुपये तक के प्रीमियम को टैक्स फ्री रखा जाता है. लेकिन ज्यादातर लोग 50 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर छूट का फायदा उठा पाते हैं.
अब हेल्थ खर्च काफी बढ़ गए हैं, इसलिए अपने परिवार के लिए अच्छे हेल्थ कवर के साथ बीमा लेते हैं और इसके लिए साल में उन्हें अच्छी रकम प्रीमियम के रूप में देनी पड़ती है. इसकी वजह से ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि बजट में धारा 80डी के तहत बीमा प्रीमियम पर मिलने वाली टैक्स छूट की ऊपरी सीमा को बढ़ाया जा सकता है. खासकर 50 हजार वाले वर्ग के लिए इसे बढ़ाकर 75 हजार रुपये तक करने की मांग की जा रही थी. लेकिन इस पर भी वित्त मंत्री ने कुछ नहीं किया.

मोबाईल और चार्जर हुए महंगे

बजट सेशन के दौरान वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि अब मोबाइल पार्ट्स पर भी कस्टम ड्यूटी लगाई जाएगी. वित्त मंत्री के इस फैसले के बाद अब मोबाइल के अलावा उसके पार्ट्स और चार्जर महंगे हो जाएंगे. मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 2.5 फीसदी की गई है.
मोबाइल कंपनियों ने पहले सरकार से गुजारिश की थी कि कस्टम ड्यूटी को न लगाया जाए. लेकिन सरकार के पेश किए गए नए बजट में विदेश से आने वाले मोबाइल फोन्स पर उसके पार्टस पर कस्टम ड्यूटी लगाने की बात कही है. कस्टम ड्यूटी लगाने से भारत में बन रहे स्मार्टफोन्स अब महंगे हो जाएंगे. लिहाजा आम आदमी को अब मोबाइल फोन्स के लिए पहले से ज्यादा कीमत देने पड़ेंगे.
कई मोबाइल पार्ट्स को विदेश से लाने पर रोक भी लगाई गई है. लिहाजा यह पार्ट्स अब भारत में ही बनाए जाएंगे और इसके दाम में पहले की तुलना में वृद्धि देखने को मिलेगी. अगर कोई भी कंपनी विदेश से मोबाइल पार्ट्स का आयात करवाती है तो स्मार्टफोन्स बेहद महंगे हो सकते हैं. ऐसे में इस बजट का असर उन मोबाइल कंपनियों पर अधिक पड़ेगा जिनके फोन भारत में तैयार नहीं होते हैं.

Related Articles

Back to top button