नई दिल्ली/दि.२९- सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण की सुनवाई पांच न्यायाधीशों का समावेश रहनेवाली संविधानपीठ के जरिये करवाने का निर्णय लिया है. इस सुनवाई की वर्गवारी सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में बदलकर तीन न्यायाधीशों की बजाय पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर दिया है. ऐसे में अब मराठा आरक्षण की सुनवाई पांच न्यायाधीशों का समावेश रहनेवाली बडी खंडपीठ द्वारा की जायेगी. हालांकि इस समय संविधानपीठ गठित करने को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. जिसके संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे द्वारा निर्णय लिया जायेगा.
बता दें कि, मराठा आरक्षण की सुनवाई बडी बेंच के सामने लेने का फैसला सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इससे पहले ही लिया था. किंतु यह फैसला लेते समय मराठा आरक्षण को अंतरिम स्थगिती दी थी. लेकिन अब तक इस संविधान पीठ का गठन नहीं हुआ है. ऐसे में संविधान पीठ को तुरंत गठित किये जाने की मांग करते हुए राज्य सरकार ने बुधवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की. जिसपर अब तक निर्णय नहीं लिया गया है. वहीं इससे पहले 9 सितंबर को हुई सुनवाई के समय ही इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजे जाने के संदर्भ में हुए निर्णयानुसार गत रोज इस मुकदमे की वर्गवारी को बदला गया. सरकारी वकील सचिन पाटिल के मुताबिक यह एक तकनीकी प्रक्रिया है. किंतु संविधान पीठ का गठन कब होगा, और उसमें किन-किन न्यायाधीशों का समावेश होगा, इसका निर्णय सीजेआय शरद बोबडे द्वारा लिया जायेगा.
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एक पडाव पार हुआ – विनोद पाटिल
मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक व याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने मराठा आरक्षण की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने हेतु पांच न्यायमूर्तियों की संविधान पीठ गठित की जाये. इस आशय की मांग का निवेदन अपने वकील के मार्फत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था. सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने इसे मान्य करते हुए इस मामले को पांच न्यायमूर्तियों की बेंच के पास भेजने हेतु इसकी कैटेगिरी बदल दी है. ऐसे में मराठा आरक्षण के मामले में आज एक महत्वपूर्ण पडाव पूरा हो गया है. ऐसा पाटिल का कहना रहा.