नई दिल्ली/दि.28– इस समूचे महाराष्ट्र राज्य का ध्यान ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई की ओर लगा हुआ है. वहीं आज सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली सुनवाई को एक बार फिर आगे टाल दिया गया है और संभवत: आगामी बुधवार 2 मार्च को इस मामले में अदालत द्वारा फैसला सुनाये जाने की उम्मीद है. बता दें कि, विगत दिसंबर माह में अदालत ने राज्य सरकार द्वारा स्थानीय स्वायत्त निकायों में ओबीसी संवर्ग के 27 फीसद राजनीतिक आरक्षण हेतु जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया था. साथ ही कहा था कि, राज्य सरकार ने किसी भी तरह का इम्पिरिकल डेटा जमा किये बिना अपने राजनीतिक फायदे को देखते हुए यह आरक्षण लागू किया था. वहीं अब राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण हेतु आवश्यक आंकडों का डेटा जमा करने का दावा करते हुए उस आधार पर ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण लागू करने की मांग की है.
ज्ञात रहे कि, सर्वोच्च न्यायालय में न्या. ए. एम. खानविलकर, न्या. दिनेश माहेश्वरी व न्या. सी. टी. रविकुमार की खंडपीठ के समक्ष ओबीसी आरक्षण की सुनवाई का मामला आया था. तब उन्होंने इस आरक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया था. पश्चात इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने एक याचिका दाखिल की. जिस पर विगत 19 जनवरी को सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण का मामला राज्य पिछडावर्गीय आयोग के पाले में डाल दिया. साथ ही राज्य सरकार के ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा पिछडावर्गीय आयोग के पास जमा करने हेतु करने कहा. जिसके चलते राज्य सरकार ने विगत 8 फरवरी को यह डेटा आयुक्त के पास जमा कराने के साथ ही इससे संबंधित रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में भी पेश की. जिस पर आज सुनवाई होना अपेक्षित था. किंतु ऐन समय पर अदालत ने इस मामले की सुनवाई आगे मुलतवी कर दी. ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही है कि, आगामी 2 मार्च को इस मामले में अदालत द्वारा कोई अंतिम निर्णय सुनाया जायेगा.
राज्य सरकार की ओर से मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि, उन्हें इस मामले में अपने पक्ष में फैसला आने की पूरी उम्मीद है.