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पटना के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत

बेड होने के बावजूद मरीज नहीं किए जा रहे भर्ती

पटना दि १५ – पटना में कोरोना मरीजों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ने की वजह से अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो रही हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही हालात संभालें नहीं गए तो स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है. मरीज कोविड से कम ऑक्सीजन की कमी से जरूर जान गंवा सकते हैं. अभी की स्थिति में पटना में ऑक्सीजन की डिमांड सात गुना बढ़ गई हैं. जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है उससे हालात बेकाबू हो सकते हैं.
फिलहाल पटना के जिलाधिकारी ने ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले सभी प्लांट्स को हिदायत दी है कि इंडस्ट्रियल सप्लाई को बंद कर केवल अस्पताल को ही ऑक्सीजन की सप्लाई दें. लेकिन पटना में ऑक्सीजन के तीन ही प्लांट हैं. ऐसे में ऑक्सीजन डिमांड अगर बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो शायद ये प्लांट भी पूरा नहीं कर पायेंगे.
पटना के जगदीश मेमोरियल हॉस्पिटल में बुधवार से ही ऑक्सीजन की सप्लाई में किल्लत हो गई. गुरुवार को भी चंद घंटे के लिए ही ऑक्सीजन के भरे सिलेंडर स्टाक में बचे हुए हैं. इस हॉस्पिटल में कोविड के 30 मरीज भर्ती हैं और सबके सब ऑक्सीजन पर हैं. ऑक्सीजन सप्लाई के लिए एक साथ 6 सिलेंडर लगाए जाते हैं जो लगभग दो घंटे में खत्म हो जाते हैं. अब इस समय हॉस्पिटल में तीन घंटे का ही ऑक्सीजन बची हुई है.
हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार खुद ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और ऑक्सीजन खत्म हो जाये उससे पहले उसकी सप्लाई आ जाए इस प्रयास में लगे हुए हैं. डॉ. आलोक का कहना है कि मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई मिलती रहे इसके लिए वो लगातार प्रयास कर रहे हैं, स्थिति काफी गंभीर है.

  • ऑक्सीजन की मांग में सात गुना बढ़ोतरी

कोविड के मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी से पटना मे ऑक्सीजन की मांग में सात गुना बढ़ोतरी हुई है. जिसकी वजह से एम्स और पारस अस्पतालों को छोड़ दें तो बाक़ी सभी सरकारी गैर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई है. कुछ अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों ने दम तोड़ दिया है. लेकिन इस बारे में कोई पुष्टि नहीं कर रहा हैं.

अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाले वेंडर विजय कुमार का कहना है कि प्लांट से ही ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. उनका कहना है कि ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले प्लांट 75 फीसदी ऑक्सीजन इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए दे देते हैं और केवल 25 प्रतिशत ही अस्पतालों में इस्तेमाल के लिए दिया जा रहा है.

  • ऑक्सीजन की कमी के चलते भर्ती नहीं हो रहे मरीज

कई अस्पतालों में बेड होने के बावजूद भी इसलिए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है क्योंकि उनके पास ऑक्सीजन की कमी है. जो मरीज पहले से भर्ती हैं उनको भी ऑक्सीजन देना है. डॉक्टरों की माने तो इस बार का संक्रमण पिछले साल के कोरोना से ज्यादा खतरनाक है और इसके मरीजों में 99 प्रतिशत लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती हैं.

पाम व्यू हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार का कहना है कि उन्होंने ऑक्सीजन की शिकायत लगातार की हैं. अब शायद हालत सुधरे, लेकिन अभी कि स्थिति काफी विकट है. डॉ. अजय कुमार आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उनका मानना है कि मरीजों की बेतहाशा वृद्धि की वजह से ऑक्सीजन की डिमांड सात गुनी बढ़ गई है और आक्सीजन की कमी की वजह से वो और मरीजों को भर्ती नहीं कर पा रहे हैं.

  • एस्मा लागू करने पर विचार

हालांकि पटना के जिला प्रशासन ने अस्पतालों के साथ एक बैठक कर ये जरूर आश्वासन दिया है कि ऑक्सीजन सप्लाई के लिए एस्मा लागू किया जाएगा ताकि ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले प्लांट केवल अस्पतालों में ही ऑक्सीजन की सप्लाई करें. लेकिन इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है. शाम होते होते पटना के सगुणा मोड़ पर स्थित हाईटेक हॉस्पिटल ने वहां भर्ती सभी मरीजों को ऑक्सीजन नहीं होने की वजह से जाने के लिए बोला है. हॉस्पिटल का कहना है कि उसके पास चंद घंटे के लिए ही ऑक्सीजन बचा हुआ हैं. जाहिर है कि हालत अभी भी नही सुधरे हैं.

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