नई दिल्ली/ दि. १ – उन्हें भी है, तभी तो दूसरे चरण के मतदान से एक दिन पहले उन्होंने 15 नेताओं को चिट्ठी लिखकर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. दूसरे चरण में 30 सीटों पर मतदान होना है, लेकिन सीएम ममता ने प्रचार के अंतिम दिनों में नंदीग्राम में डेरा डाल दिया जहां से वो खुद चुनाव मैदान में हैं. दीदी जानती हैं कि बंगाल में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह काफी हद तक सीएम की सीट पर निर्भर करता है. साल 2011 का चुनाव इसका उदाहरण है जब वामो ने सत्ता गंवाई थी, तब मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य अपनी सीट नहीं बचा पाए थे.
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पिछले चुनाव से अलग है तस्वीर
बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव में टीएमसी के सामने वाम दलों और कांग्रेस की चुनौती थी. वामो का कैडर बिखरा हुआ था. कुछ इलाकों को छोड़ दें तो वामो को लड़ाई में भी नहीं माना जा रहा था. जानकार बताते हैं कि तब चुनाव एक तरह से विपक्ष शून्य के हालात में हुए थे. टीएमसी के सामने कोई चुनौती नहीं थी. ममता बनर्जी का विजय रथ बगैर किसी बाधा के बंगाल के हर इलाके से अबाध कोलकाता तक पहुंचा और ममता बनर्जी लगातार दूसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं. टीएमसी ने 294 सदस्यीय विधानसभा की 211 सीटें जीती थीं.
इसबार तस्वीर अलग है. तब के चुनाव यानी 2016 में महज तीन विधानसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी इसबार ममता बनर्जी की पार्टी को कड़ी टक्कर दे रही है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में महज एक सीट जीतने वाली बीजेपी ने 2014 में दो सीटें जीतीं और 2019 के लोकसभा चुनाव में 40 में से 18 सीटें जीतकर यह संकेत दे दिए कि बंगाल की राजनीति में वामो-कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुई जगह भरने के लिए वह तैयार है.
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टीएमसी से नेताओं का पलायन
ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द पार्टी से नेताओं का पलायन रहा. कभी सीएम ममता के खासमखास, प्रमुख सिपहसालार रहे नेताओं ने भी पार्टी का दामन छोड़ बीजेपी का झंडा थाम लिया. ममता के खास रहे शुभेंदु इसबार खुद नंदीग्राम सीट पर उनके सामने हैं, वहीं मुकुल रॉय, दिनेश त्रिवेदी जैसे वरिष्ठ भी उनका साथ छोड़कर जा चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने मेदिनीपुर की रैली में कहा भी था कि चुनाव आते-आते ममता बनर्जी अकेली रह जाएंगी. ममता बनर्जी ने प्रचार का जिम्मा अपने कंधे पर संभाल रखा है, जबकि उनके सामने बीजेपी ने एक तरह से पूरी केंद्र सरकार को उतार रखा है.
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बीजेपी ने टीएमसी को उसके ही मोहरों से घेरा
राजनीति के जानकार भी यह कह रहे हैं कि इसबार मुकाबला काफी कड़ा है. अपनी स्थापना से लेकर अब तक बंगाल में अपनी सियासी जमीन तैयार करने के लिए जूझती रही बीजेपी ने इसबार ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को उनके ही मोहरों से घेरा है. दोनों ही दलों की ओर से जीत के दावे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वामो भी अपना छिटका वोट बैंक वापस पाने के लिए मशक्कत कर रहा है. बंगाल की राजनीति पर करीबी नजर रखे लोग भी बस यही कह रहे- टीएमसी को इसबार बीजेपी की मजबूत चुनौती से जूझना पड़ रहा है.