‘मुझे संतोष नहीं मिलेगा, मैं सिल्वर के लिए टोक्यो नहीं गया था ‘
रवि दहिया गोल्ड मेडल नहीं मिलने से टूटे
नई दिल्ली/दि. 5 – युवा भारतीय पहलवान रवि दहिया ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में सिल्वर मेडल हासिल किया. हालांकि फाइनल हारने से वे निराश दिखे. नतीजे के बाद रवि दहिया ने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक में वह शायद रजत पदक जीतने के ही हकदार थे लेकिन वह पेरिस ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का अपना सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे. इस 23 साल के खिलाड़ी ने पुरुष वर्ग के 57 किलो फाइनल के बाद पीटीआई से कहा कि यह रजत पदक उन्हें कभी संतोष नहीं देगा हालांकि उनका प्रदर्शन भारतीय कुश्ती के लिये काफी मायने रखता है. दहिया ने जापान की राजधानी से फोन पर कहा, ‘मैं रजत पदक के लिए टोक्यो नहीं आया था. इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी. शायद इस बार मैं रजत पदक का ही हकदार था क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान था. मैं जो चाहता था, वह हासिल नहीं कर पाया.’
दहिया ने विश्व चैंपियन युगुएव के रक्षण को तोड़ने के लिए अपनी तरफ से भरसक प्रयास किया लेकिन रूसी पहलवान ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया. दो बार के मौजूदा एशियाई चैंपियन ने कहा, ‘उसकी शैली बहुत अच्छी थी. मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं. उसने बहुत चतुरता से कुश्ती लड़ी.’ दहिया से जब पूछा गया कि उनका रजत पदक भारतीय कुश्ती के लिए क्या मायने रखता है तो वह उत्साहित हो गए. उन्होंने कहा, ‘वो तो ठीक है लेकिन रजत पदक लेकर चुप नहीं बैठ सकता. मुझे अपनी एकाग्रता बनाए रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा तथा अगले ओलिंपिक खेलों के लिए तैयार रहना होगा.’