बच्चो को डांटना पड जाए तो ‘आई एम सॉरी’ बोलकर तुरंत गलती सुधारे, उन्हें बताएं कि इस हरकत से आप भी दुखी हैं: एक्सपर्ट्स
महामारी के कारण बढते मानसिक-आर्थिक तनाव से धैर्य खो रहे पैरेंट्स, इस पर ध्यान देना जरुरी
न्यूयॉर्क/दि.12 – आई एम सॉरी… कहने से तीन शब्द है, पर ये बडा असर कर सकते है. खासकर जब बात बच्चो पर बिफरने की हो ऐसी ही घटना पिछले हफ्ते अमेेरिका में हुई. जब एक कामकाजी मां घर से ऑफिस का काम कर रही थी, तब एक बेटी ने उन्हें कई बार डिस्टबै किया. उसे स्कूल की इवेंट में एक हंट की जिम्मेदारी दी गई थी. कभी लाल रंग की स्लिपर्स , तो कभी कंघी को लेकर जब वह चौथी बार रुप में आई तो मां ने उसे झिडककर गेट आउट कर दिया. बेटी दुखी हो गई मां ने बहुत कठोरता से ये बात कही थी, हांलाकि वे कभी बच्चों से इस लिहाजे में बात नहीं करती. एक्सपर्ट का कहना है कि यह सामान्य बात है कि सभी पैरेंट्स के साथ ऐसा होता है पर जब भी ऐसा हो, इसके अलावा आप इन तीन बिंदुओं पर अमल कर सकते है.
अपनी गलती माने : न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल सायकोलॉजी की प्रोफेसर जेनी हडसन कहती है कि जब भी ऐसा हो तो आप शांत होने पर तुरंत बच्चों से माफी मांग ले और अपनी भावनाएं उन्हें समझाए. बच्चो से कहे की इतना गुस्सा होने पर वे खुद भी दुखी हो जाते है. हताशा में ऐसा हो गया, बच्चो को जताए कि इसमें उनकी गलती नहीं थी.उनके साथ वॉक पर जा सकते है, गहरी सांस लें, उस वक्त बात करने से बचे.
खुद को वक्त दें : आप समझ नहीं पा रह है कि इस स्थिति में आप क्या करना चाहिए तो खुद को थोडा वक्त दें. मनोवैज्ञानिक एलेक्जेंड्रा साक्स का कहना है कि बच्चे छोटे है तो उन्हें अकेला नहीं छोड सकते. आप किसी भी दोस्त को फोन कर मन हल्का कर सकते है.
बच्चों के स्तर पर जारक सोंचे : डॉ. साक्स के मुताबिक बच्चे भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते, इसलिए तुरंत व्यक्त कर देते है. उनके स्तर पर जाकर सोचे हम में से बहुत से लोग इस दौर से गुजर रहे है.महामारी ने आर्थिक, मानसिक तनाव इतना बढा दिया है कि पैरेंटस खो देते है. इस स्थिति को बातचीत से ही संभाल सकते है.
बार-बार मजाक न उडाएं, बच्चों में नकारात्कता आ सकती है: मनोचिकित्सक
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवसिर्टि स्कूल में मनोचिकित्सक के विशेषज्ञ डॉ. पूजा लक्ष्मिन का कहना है कि बच्चों को जोर से डाटना सामान्य है. पर उनके साथ शारीरिक या भावनात्मक तौर पर बुरा बर्ताव कतई न करें. उनका बार-बार मजाक न उडाए, लाड-प्यार में कमी न करे, इसमें उनमें नकारात्मकता आ सकती है पर आप अक्सर ऐसा बर्ताव करते है तो इशारा इस ओर है कि बच्चो को आपकी देखभाल की ज्यादा जरुरत है डॉक्टर की मदद भी ले सकते है.