नई दिल्ली/दि.27– अब कालेज में शरारत करते हुए आपत्तिजनक वीडिओ बनाया तो जेल की हवा खानी पडेगी. पहले यह सबूत की श्रेणी में आता नहीं था. अब नए कानून के मुताबिक ऐसा वीडिओ सबूत के रुप में प्रस्तुत किया जाएगा और संबंधित को सजा हो सकती है. इस बाबत विद्यार्थियों को जानकारी देने की सूचना यूजीसी ने विद्यापीठ और महाविद्यालय को दी है.
इस कानून बाबत जानकारी देने के लिए विद्यापीठ में प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसके अलावा परिसंवाद भी होगा. इसमें न्यायमूर्ति, वकील, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और संस्था के प्राध्यापक आदि जानकारी देगे.
* कौनसे सबूत ग्राह्य?
एफआयआर, केस डायरी, चार्जशिट डिजीटल करने का कानून में प्रावधान है. अब 167 की बजाए धारा 170 रहेगी. 24 धाराओं में बदलाव किया गया है. गवाहों बाबत ऑडिओ, वीडिओ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सबूतो को महत्व है.
* यह निर्णय क्यो?
केंद्र सरकार 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, नागरी संरक्षण, सबूत कानून लागू कर रहा है. 164 साल के बाद कानून बदले है. न्यायालय में गवाही ग्राह्य मानने का प्रावधान सबूत कानून में है.
* प्रेरित किया तो उम्रकैद
कानून के मुताबिक यदि कोई जानबुझकर शब्द अथवा संकेत अथवा ऑडिओ-वीडिओ द्वारा भडकाऊ अथवा सशस्त्र बगावत अथवा विध्वंसक कार्रवाई को प्रेरित करता हो तो उन्हें 7 वर्ष अथवा उम्रकैद की सजा हो सकती है. बाल अत्याचार बाबत भी सरकार काफी गंभीर है, ऐसा वीडिओ शेअर किया तो कार्रवाई होगी.
* विशेषज्ञ क्या कहते है?
नए कानून पर अमल करने के लिए अभ्यास आवश्यक है. 164 साल बाद कानून बदला है. यह प्रत्यक्ष में लाने के लिए समय बदलेगा. कानून की जानकारी देने का निर्णय अच्छा है.
– रंजना राय, सहायक प्राध्यापक, राष्ट्रीय कानून विद्यापीठ.