देश दुनिया

भारत बन सकता है ग्लोबल सुपरपावर

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस की जानकारी

संयुक्त राष्ट्र/दि.२८– संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) का मानना है कि भारत संसाधनों की स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के मामले में एक ग्लोबल सुपरपावर बन सकता है. इससे भारत किफायती, भरोसेमंद और लंबे समय तक चलने वाली आधुनिक ऊर्जा तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करेगा. साथ ही 2030 तक व्यवसाय का प्रमुख केंद्र बन सकेगा.
वीडियो कांफ्रेंस (Video conference) के जरिए कार्यक्रम में बोल रहे थे. गुटेरेस
एंटोनियो गुटेरेस शुक्रवार को आयोजित दरबारी सेठ मेमोरियल लेक्चर में न्यूयार्क से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान ने किया था. गुटेरेस ने कहा कि भारत यदि जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा पर काम करने की गति को तेज कर देता है, तो वह जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने सही मायनों में ग्लोबल सुपरपावर बन सकेगा.
उन्होंने कहा कि भारत में बिजली उत्पादन करने के लिए तेल- कोयले जैसे खत्म होने वाले ईंधन के बजाय सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों पर गौर फरमाया जाए. इससे एक तो ग्लोबल वॉर्मिग और प्रदूषण की समस्या से लडऩे में मदद मिलेगी. वहीं आर्थिक दृष्टि से भी भारत को फायदा होगा.
गुटेरेस ने कहा कि भारत बिजली उत्पादन और बिना प्रदूषण के खाना पकाने के मामले में अग्रणी रहा है. उसे सौर उर्जा की मदद से भोजन बनाने की प्रक्रिया को घर-घर पहुंचाकर प्रदूषण कम करने के लिए काम करना चाहिए. इसके लिए भारत के सभी टेक्नोक्रेट (Technocrat), बिजनेसमैन (Businessman) और उद्यमियों को मिलकर काम करना होगा.
भारत का वन सन, वन वल्र्ड, वन ग्रिड बेहतरीन
गुटेरेस ने कहा कि, मैं वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के रूप में अंर्तराष्ट्रीय सौर गठबंधन को आगे लाने में भारत के फैसले की प्रशंसा करता हूं. एक वर्ल्ड सोलर बैंक बनाने की भारत की योजना की भी तारीफ करता हूं. जिसके तहत आने वाले दशकों में सोलर प्रोजेक्टों में सौ करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि महामारी के वक्त में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल 17 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी तक हो गया है. वहीं कोयले से बनने वाला ईंधन 77 फीसदी से घटकर 66 फीसदी तक आ गया है. उन्होंने कहा कि भारत में कई कंपनियां सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही हैं. लेकिन अभी ओर संगठनों को इसमें आगे आने की जरूरत है.

Related Articles

Back to top button