नई दिल्ली/दि.२९-भारतीय सेना (Indian Army) ने आज 39 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कानूनी लड़ाई जीतने के बाद सेना की 39 महिला अफसरों को इसी महीने 22 अक्टूबर को स्थायी कमीशन मिला था. सुप्रीम कोर्ट ने सेना से उन्हें 1 नवंबर तक स्थायी कमीशन देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि सात कार्य दिवसों के भीतर इन महिला अफसरों को नई सेवा का दर्जा दिया जाए. स्थायी कमीशन का अर्थ सेना में रिटायरमेंट तक करियर है, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 साल के लिए होता है. इसमें अधिकारी के पास 10 साल के अंत में स्थायी कमीशन छोड़ने या चुनने का विकल्प होता है. यदि किसी अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं मिलता है तो अधिकारी चार साल का विस्तार चुन सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इससे संबंधित आदेश जल्द जारी किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अन्य महिला अफसरों को स्थायी कमीशन न देने के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश भी दिया है. केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया 71 में से 39 को स्थायी कमीशन दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में ASG संजय जैन ने बताया 72 में से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी, इसलिए सरकार ने 71 मामलों पर पुनर्विचार किया.
71 में से 39 को स्थाई कमीशन क्यों?
इन नामों में से 39 स्थायी कमीशन की पात्र पाई गई हैं. केंद्र ने कहा 71 में से 7 मेडिकल रूप से अनुपयुक्त हैं, जबकि 25 के खिलाफ अनुशासनहीनता के गंभीर मामले हैं और उनकी ग्रेडिंग खराब है. कुल 71 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट गई थीं. कोर्ट ने 1 अक्टूबर को सरकार से कहा था कि वो किसी भी अधिकारी को सेवा से मुक्त न करें.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिया था आदेश
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की दो न्यायाधीशों की पीठ, जो भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं, मामले की सुनवाई कर रही थीं. महिला अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकीलों वी मोहना, हुज़ेफ़ा अहमदी और मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया था कि महिला अफसरों को अयोग्य ठहराना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना को सभी महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया था. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दिया गया था.