नई दिल्ली/दि.११– कोरोना वायरस महामारी के चलते रेलवे के परिचालन में कमी आ गई है. फिलहाल देश में 230 स्पेशल ट्रेनों और मालगाडिय़ों को छोड़कर के सभी तरह की ट्रेनें खड़ी हुई हैं. ऐसे में इसका असर रेलवे की आय पर भी पड़ा है. इसको देखते हुए रेलवे ने मार्च 2021 तक सभी तरह के तबादलों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इससे टीटीई, बुकिंग क्लर्क, आपरेटिंग, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल एवं टेलीकॉम के हजारों रेलकर्मियों को राहत मिली है, जिनका तबादला कर दिया गया था. रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक, स्थापना डी. जोशफ ने सात अगस्त 2020 को सभी जोन के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर मार्च 2021 तक तबादले को स्थगित करने का निर्देश दिया है.
रेलवे में संवेदनशील पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को चार साल तक काम करने के बाद दो वर्ष का गैप होना चाहिए. इसके बाद ही संवेदनशील पद पर नियुक्त हो सकते हैं. दो वर्ष तक उन्हें मूल कैडर पर काम करना होगा. देश भर में 67 मंडल हैं, जबकि 17 जोन हैं. सभी जगहों पर यह नियम लागू होता है. डीआरएम कार्यालय में बाबू की सीट को बदल दिया जाता है, जबकि फील्ड में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरे स्टेशन या अन्य मंडल में भेज दिया जाता है.
सालाना 50 से 75 हजार कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादले किए जाते हैं. एक कर्मी अथवा अधिकारी को बेसिक-पे का 80 फीसद ट्रांसफर अलाउंस मिलता है, जो 25 से 75 हजार रुपये पड़ता है. ऐसे में सरकारी खजाने से 200 से 300 करोड़ रुपये खाली होता है. रेलवे में कमर्शियल कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी सीधे यात्रियों से जुड़ी होती है, इसलिए इस विभाग के तबादलों की सूची लंबी होती है. इसी प्रकार इंजीनियरिंग, सिग्नल, इलेक्ट्रिकल, ऑपरेटिंग, मेकैनिकल आदि विभाग में भी संवेदनशील पदों पर विराजमान कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला चार साल में कर दिया जाता है.
यह आदेश जारी होने से खासकर ग्रुप सी के कर्मचारी राहत महसूस कर रहे हैं. नॉर्थ सेंट्रल रेलवे इंप्लाइज संघ (एनसीआरईएस) के सहायक मंडल मंत्री आलोक सहगल ने बताया कि कोरोना संकट क समय नए स्थान पर काम करना मुश्किल है.