राज्य के प्रशासन को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
पालकों का साया खोने वाले बच्चों को दें आधार
नई दिल्ली/दि.२९ – कोरोना संसर्ग के कारण देश के कई बच्चों ने माता-पिता का साया खो दिया है. इसकी कल्पना नहीं की जा सकने की बात कहते हुए राज्य के प्रशासन व्दारा ऐसे बच्चों की तुरंत खोजबीन की जाये और उन्हें आधार देने के निर्देश सर्वोच्च न्यायालय केक अवकाशकालीन खंडपीठ ने शुक्रवार को दिये. न्यायमित्र (अॅमिकस क्यूरी) गौरव अगरवाल ने इस विषय में दाखल किये गये आवेदन का न्यायालय ने स्यू मोटो याचिका में रुपांतर किया था. जिस पर की सुनवाई के दरमियान न्यायालय ने यह निर्देश दिये.
कोरोना काल में अनेक बच्चे निराधार हुए हैं. रास्ते पर भूखे पेट घुमने वाले इन बच्चों की वेदना सरकार व्दारा जाननी चाहिए. न्यायालय के निर्देश का इंतजार न करते हुए जिला प्रशासन व्दारा ऐसे बच्चों की खोजबीन कर राष्ट्रीय बालहक्क संरक्षण आयोग के वेबसाइट पर शनिवार की शाम तक उसकी रिपोर्ट पंजीकृत करवाने के निर्देश देते हुए न्यायालय ने इस याचिका की आगामी सुनवाई 1 जून को रखी है.
अनेक राज्यों में बच्चें निराधार हुए हैं. महाराष्ट्र के 2,900 बच्चों ने कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खोये जाने का समाचार पढ़ने में मिला है.ऐसे बच्चों का निश्चित आंकड़ा हमें मालूम नहीं है. इस कारण देशबर में ऐसे कितने बच्चों होंगे, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. सरकारी प्रशासन व्दारा ऐसे बच्चों की खोजबीन कर उन्हें तुरंत आधार देने के निर्देस न्यायालय व्दारा दिये गये हैं.
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बच्चों की तस्करी बढ़ी
कोरोना के कारण गत वर्ष से अनेक बच्चों ने अपने दोनों पालकों को खोया है. वहीं घर के मुख्य व्यक्ति का निधन होने से आर्थिक दिक्कतों में आये बच्चों की संख्या काफी है. बावजूद इसके निराधार बच्चों (विशेषतः लड़कियों) की तस्करी भी बढ़ी है. इस ओर अगरवाल ने ध्यानाकर्षित किया है.