नई दिल्ली/दि.६ – बीते अनेक वर्षों से मौसम में होनेवाले लगातार बदलावों से मनुष्य के जीवन पर परिणाम होने लगा है. यहीं वजह है कि साल १९७१ से २०१९ की अवधि में देशभर में लू की ७०६ लहरों की चपेट में आने से तकरीबन १७३६२ नागरिकों की मौत होने की जानकारी शोध निंबंधन से सामने आयी है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम.राजीवन सहित कमलजीत राय, एस.एस. राय, आर.के. गिरी और ए.पी.दिमरी ने यह संशोधन किया है. जबकि कमलजीत राय यह शोध निबंध के मुख्य लेखक है.
लू की लहर घोषित करने के लिए भौगोलिक रचना के अनुसार अलग-अलग निकष निर्धारित किए गए है. पर्वतीय व तटीय प्रदेशों का तापमान ४० डिग्री सेल्सियस अथवा उससे अधिक दर्ज कराने पर व तापमान औसतन न्यूनतम तापमान से अधिक होने पर लू की लहर मानी जाती है. पर्वतीय प्रदेश का तापमान ३० डिग्री सेल्सियस पार करने पर लू दर्ज की जाती है. साल २०१९ में देशभर में लू की २६ लहरें दर्ज की गई थी. जिसमें से १५ लहरों का सामना महाराष्ट्र राज्य ने महसूस की.
१.४१ लाख लोगों की मौत
साल १९७१ से २०१९ की अवधि में बदलावों से देशभर में १ लाख ४१ हजार ३०८ नागरिकों की मौत हो गई. इसमें लगभग १२ फीसदी मृत्यु लू की चपेट में आने से हुई है यह शोध निबंध में बात स्पष्ट की गई है.
विदर्भ में लू का कहर
गर्मी के दिनों में विदर्भ का पारा लगातार ४८ डिग्री सेल्सियस तक रहता है. बीते दो वर्षों को छोड विदर्भ में गर्मी कहर बरपाती है. इसीलए मई माह में लू से मृत्यु बढ़ती है. महाराष्ट्र में ग्रर्मी के दिनों में विदर्भ का तापमान सर्वोच्च स्तर पर होता है.
सबसे ज्याद प्रमाण कहा?
आंध्र प्रदेश, तेलंगणा व ओरिसा इन राज्यों को लू की लहर का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा है. देशभर में होनेवाली कुल मौतों में से सबसे ज्यादा मौतें इन राज्यों में दर्ज की गई है. हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओरिसा, आंध्र प्रदेश और तेलंगणा में लू की लहर कहर बरपाती है्