नई दिल्ली/दि.१४- देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच स्कूल खोलने की मांग भी बढ़ती जा रही है. विशेषकर निजी स्कूल सरकार को स्कूल खोलने के गाइडलाइन लागू करने की मांग कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक यह भी खबर है कि सरकार 15 अगस्त के बाद स्कूल खोलने की घोषणा कर सकती है और आगामी सितंबर माह से बड़ी क्लास 10वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए देशभर में स्कूल खोले जा सकते हैं. इस बीच यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो भारत में फिलहाल स्कूल खोलना खतरनाक हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के मुताबिक भारत के प्रति तीन स्कूलों में से केवल एक स्कूल में पीने का पानी की व्यवस्था है, ऐसी हालत में भारत के स्कूलों में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर हालत खतरनाक हो सकते हैं. गौरतलब है कि पानी के अभाव में बार-बार हाथ नहीं धोने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले की तुलना में अब भारत में हैंड वॉश करने की सुविधा में तेजी से बढ़ोतरी हुई है लेकिन देश के कई इलाके अभी भी ऐसे हैं, जहां स्कूलों में साबुन की कमी है.
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर 469 मिलियन से अधिक बच्चों के पास 2019 में स्कूल में स्वच्छता संबधी कोई सेवा उपलब्ध नहीं थी. इन बच्चों में 244 मिलियन बच्चे अफ्रीका से हैं. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 60 देशों में कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य और मानवीय संकट का सबसे अधिक खतरा है. आधे से ज्यादा देशों के पास तो बुनियादी स्वच्छता सेवा का भी अभाव है. रिपोर्ट में भारत के संबंध में कहा गया है कि अधिकांश स्कूलों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए शौचालय सुविधा का भी अभाव है. ऐसे में भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच स्कूलों को खोलना खतरनाक साबित हो सकता है. यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि हमें बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देना चाहिए, लेकिन बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए.