ड्राईवर के लाईसेन्स की सत्यता जांचना मालिक के लिए जरूरी नहीं
ट्रक दुर्घटना बीमा मामले में सुप्रीम कोर्ट का कथन
नई दिल्ली-/दि.2 वाहन चलाने के कौशल्य को लेकर समाधानी रहने के बाद वाहन चालक का लाईसेन्स असली है अथवा नहीं, इसकी जांच वाहन मालिक द्वारा किये जाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती और वाहन मालिक के लिए भी वाहन चालक के लाईसेन्स की सत्यता को जांचना अनिवार्य नहीं किया जा सकता. इस आशय का निरीक्षण एक ट्रक दुर्घटना के बीमा मामले की सुनवाई के दौरान दर्ज किया गया.
जानकारी के मुताबिक 27 अप्रैल 2015 को ऋषिपाल सिंह नामक ट्रान्सपोर्टर का ट्रक सडक हादसे का शिकार हुआ था. इस ट्रक को चलाने हेतु एक ड्राईवर को काम पर रखने से पहले ट्रक मालिक ऋषिपाल सिंह ने उसके ड्राईविंग कौशल्य का परीक्षण किया था और यह ड्राईवर बडे अच्छे तरीके से वाहन चला रहा था. साथ ही हादसा घटित होने से पहले तीन वर्षों से यह ड्राईवर नौकरी पर था. जिसके पास नागालैंड राज्य से जारी हुआ लाईसेन्स था. लेकिन हादसे के बाद इस ड्राईवर का लाईसेन्स फर्जी होने की बात सामने आयी. मोटर अपघात दावा प्राधिकरण ने बीमा कंपनी को नुकसान भरपाई की रकम अदा करने और यह रकम वाहन मालिक से ब्याज सहित वसूल करने का आदेश जारी किया था. जिसके खिलाफ की गई अपील को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. पश्चात ट्रक मालिक ऋषिपाल सिंह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे. जहां पर उनकी ओर से बताया गया कि, उन्हें दिखाये गये ड्राईविंग लाईसेन्स की सत्यता को जांचने का उनके पास कोई रास्ता उपलब्ध नहीं था. साथ ही उन्होंने ड्राईवर को नौकरी पर रखने से पहले उसके ड्राईविंग कौशल्य की पूरी जांच-पडताल की थी और वह ड्राईवर उनके यहां लगातार तीन साल तक काम करता रहा. इस दौरान उसके वाहन चलाने को लेकर कभी कोई शिकायत भी सामने नहीं आयी. ऐसे में उस ड्राईवर के ड्राईविंग लाईसेन्स की सत्यता को जांचने का कोई मसला ही नहीं था. इस युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता व न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अदालत ने ट्रक मालिक ऋषिपालसिंह से बीमा राशि वसुल नहीं किये जाने का आदेश पारित किया.