* सीआरपीसी को बताया आवश्यक
तिरुवनंतपुरम/दि.12 – पत्रकार के फोन में किसी अपराध से संबंधित जानकारी हो सकती है. इस वजह के चलते पुलिस द्बारा पत्रकार के मोबाइल को जब्त नहीं किया जा सकता. बल्कि इसके लिए कानूनी प्रक्रिया का अवलंब किया जाना चाहिए. ऐसा केरल हाईकोर्ट ने कहा है.
जानकारी के मुताबिक जी. विशाकन एक मलियालम दैनिक के पत्रकार है और राजनीतिक व दैनिक गतिविधियों को कवर करते है. 7 जुलाई को तीन पुलिस अधिकारियों ने करीब एक घंटे तक उनके घर की तलाशी ली. साथ ही उन्हें कार्यालय में बुलाकर उनका मोबाइल जब्त किया. ऐसे में जी. विशाकन ने खुद को कोई तकलीफ न दी जाए तथा उन्हें उनका मोबाइल फोन व सिमकार्ड वापिस किया जाए, इस हेतु होईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसके जरिए उनका कहना रहा कि, किसी भी अदालत ने उनकी घर की तलाशी का वारंट जारी नहीं किया था. साथ ही उन्हें धारा 41 (अ) के तहत सीआरपीसी की नोटीस भी नहीं दी गई थी. इसके अलावा जिस मामले में तलाशी व जब्ति की गई. उस मामले में उन्हें आरोपी भी नहीं बनाया गया. हालांकि मामले से जुडे एक आरोपी के साथ उनके अच्छे संबंध है. लेकिन यह उनके काम का हिस्सा है और इसके लिए उन पर अपराध में शामिल होने का संदेह नहीं किया जा सकता. जी. विशाकन ने यह आरोप भी लगाया कि, स्थानीय विधायक के प्रभाव व दबाव की वजह से पुलिस उनके साथ यह व्यवहार कर रही है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, पुलिस सीआरपीसी का उल्लंघन करते हुए किसी पत्रकार के मोबाइल पर जब्त नहीं कर सकती. पत्रकारों को हर तरह के अपराध व अपराधियों की जानकारी हो सकती है. लेकिन इस वजह से उनके फोन को जब्त नहीं किया जा सकता.
* पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ है उनके मोबाइल में कई तरह की जानकारी हो सकती है. सीआरपीसी का अवलंब किए बिना उनके मोबाइल को जब्त नहीं किया जा सकता.
– न्या. पी. वी. कुन्हीकृष्णन