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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के लिए वोट मांगे !

बड़े जोश के साथ ईवीएम में हाथ के पंजे का बटन दबाने की अपील कर डाली

नई दिल्ली/दि.१ – ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिसे सात माह से अधिक समय बीत चुका है लेकिन उनके मन में अब तक कमल नहीं खिला है और हाथ का पंजा बरकरार है. मध्यप्रदेश में उपचुनाव में एक रैली में उन्होंने अपनी समर्थक मंत्री और बीजेपी की उम्मीदवार इमरती देवी को जिताने के लिए बड़े जोश के साथ ईवीएम में हाथ के पंजे का बटन दबाने की अपील कर डाली. ज्योतिरादित्य का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया है. मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नंवंबर को उपचुनाव होंगे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को ग्वालियर जिले की डबरा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी इमरती देवी के पक्ष में अपील करते हुए कांग्रेस के लिए वोट मांग लिए. उनकी जुबान क्या फिसली, इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया. वीडियो में सिंधिया कह रहे हैं ”हाथ उठाकर हमें विश्वास दिलाओ, शिवराज सिंह और हमें. मेरी डबरा की जनता, मेरी जानदार एवं शानदार जनता, मु_ी बांधकर विश्वास दिलाओ कि तीन तारीख को हाथ के पंजे पर बटन दबेगा. हालांकि गड़बड़ी का अहसास होने पर वहां मौजूद बीजेपी नेता ने तुरंत इस वाक्य में संशोधन किया और लोगों से बीजेपी के कमल के निशान को वोट देने की अपील की.
ज्योतिरादित्य की गलती पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर इसका वीडियो अपलोड कर दिया और लिखा, ”सिंधिया जी, मध्यप्रदेश की जनता विश्वास दिलाती है कि तीन तारीख़ को (EVM पर) हाथ के पंजे वाला बटन (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) ही दबेगा. अब बीजेपी सिंधिया की जुबान फिसलने पर सफाई दे रही है. मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि इस तरह की गलती किसी भी व्यक्ति द्वारा हो सकती है. उन्होंने कहा, ”उनकी (सिंधिया) जुबान फिसल गई थी और यह किसी के साथ भी हो सकता है. गलती का अहसास होने पर सिंधिया ने तुरंत इसमें सुधार किया. हर कोई जानता है कि वह बीजेपी के नेता हैं.गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सन 2002 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. 18 साल बाद इसी साल वे मार्च में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने त्यागपत्र देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इनमें से अधिकांश ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं. इन विधायकों के पद छोडऩे से मध्यप्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. तीन दिन बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी.

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