देश दुनिया

कैट चला रहा भारतीय सामान-हमारा अभिमान

चीनी वस्तूओं पर पूरी तरह से बहिष्कार डालने का निर्णय

नई दिल्ली/दि.१६– कनफेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देश में चीनी वस्तुओं के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान भारतीय सामान-हमारा अभिमान आरंभ कर दिया है. जिसके तहत  सभी त्योहारों में भारतीय सामान के उपयोग के साथ ही मनाने का आह्वान किया गया है. इस वर्ष की दिवाली देश भर में हिन्दुस्तानी दिवाली के रूप में मनाई जायेगी जिसमें चीन का कोई भी सामान इस्तेमाल नहीं होगा. इसी कड़ी में आगामी 22 अगस्त को भगवान श्री गणेश जी के जन्मदिवस गणेश चतुर्थी को इस बार नए तरीके से मनाने के लिए कैट ने आज मिट्टी, गोबर तथा खाद से बने पर्यावरण मित्र गणेश जी की कुछ प्रतिमाएं आज जारी की जिन्हें देशभर के व्यापारी तथा अन्य लोग इस गणेश चतुर्थी को अपने घर में स्थापित कर उनकी पूजा करेंगे.
यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है किन्तु खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से मनाया जाता है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि अब से लेकर दिवाली तक देश में त्योहारों का सीजन है और चीन से आयात हुआ लगभग 35 से 40 हजार करोड़ रुपये तक का सामान इस सीजन में बिकता है.
इसमें खासतौर पर मूर्तियां, अगरबत्ती, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली के बल्बों की झालर, बल्ब, सजावटी सामान, पीतल एवं अन्य धातुओं के दीये, फर्निशिंग फैबरिक, किचन इक्विप्मेंट, पटाखे, आदि शामिल हैं. इस वर्ष देशभर के व्यापारियों ने यह तय किया है कि वो इस त्योहारी सीजऩ में चीन का सामान न बेचेंगे बल्कि अपने देश में ही बना हुआ सामान बेच कर चीन को राखी के बाद अब त्योहारी सीजऩ का 40 हज़ार करोड़ रुपए का झटका देंगे.
उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं से बनी गणेश प्रतिमा का उद्देश्य पर्यावरण और जल को प्रदूषित होने से बचाना तथा इस त्योहार को सही अर्थों में पूर्ण भारतीयता के साथ मनाना है। उन्होंने बताया कि इस क्रम में 6 इंच, 9 इंच एवं 12 इंच की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. अनेक प्रतिमाओं में तुलसी के बीज सहित विभिन्न सब्जियों के बीज भी डाले जा रहे हैं जिससे प्रतिमा जल में विसर्जित करने के बाद यह बीज मिट्टी में दबा कर पौधों का रूप ले सकें. गणेश जी की ये प्रतिमाएं गणेश चतुर्थी के पूजन के बाद घर में ही किसी बर्तन के कुंड में विसर्जित की जा सकती हैं. इससे पर्यावरण और जल को दूषित होने से बचाया जा सकेगा.

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