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मौसम की तरह मुकदमों की भी हो सकेगी भविष्यवाणी

एआई व ओसीआर तकनीक का होगा प्रयोग

नई दिल्ली/दि.10– मौसम को लेकर जताये जाने वाले पूर्व अनुमान की तरह अब भविष्य में दर्ज होने वाले अदालती मुकदमे का भी पूर्व अनुदान लगाना संभव होगा. ई-कोर्ट प्रकल्प के तीसरे चरण के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स (एआई) व ऑप्टीकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर) तकनीक की मदद से यह कार्य किया जाएगा. केंद्र सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा इस प्रकल्प पर काम किया जा रहा है.

देश की न्यायालयीन व्यवस्था को अद्यावत व आधुनिक तकनीक से लैस करने हेतु वर्ष 2015 से ई-कोर्ट प्रकल्प चलाया जा रहा है. मार्च 2023 में ई-कोर्ट प्रकल्प के दो चरण पूरे हो चुके है. वहीं अब इस प्रकल्प का तीसरा चरण शुरु होने वाला है. इस तीसरे चरण के तहत अदालती व्यवस्था में ‘एआई’ जैसी अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करने की योजना केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई है. साथ ही वर्ष 2027 तक इस तीसरे चरण को पूरा करने का भी केंद्र सरकार का मानस है.

इस योजना के अंतर्गत ‘एआई’ व ‘ओसीआर’ तकनीक का प्रयोग मुकदमों का अध्ययन करने हेतु किया जाएगा. जिसके चलते भविष्य में दर्ज होने वाले मुकदमों का पहले से अनुमान हो जाने की वजह से अनावश्यक मामलों को टालना और उनका निपटारा करना आसान हो जाएगा. जिसे देश में प्रलंबित मुकदमों की संख्या को कम करने में सहायता मिलेगी और अदालती व्यवस्था पर काम के बोझ को घटाया जा सकेंगा.

केंद्र सरकार ने इस योजना के तीसरे चरण हेतु सितंबर माह में कुल 7 हजार 210 करोड रुपयों की निधि मंजूर की थी. जिसमें से 53.57 करोड रुपए ‘एआई’ तकनीक पर खर्च किये जाएंगे, ऐसी जानकारी विगत दिनों ही राज्यसभा में केंद्रीय विधि व न्याय विभाग के राज्यमंत्री अर्जून राम मेघवाल द्वारा दी गई थी.

* करीब 3 करोड मामलों की ‘ऑनलाइन’ सुनवाई
देश में विगत अक्तूबर माह तक करीब 3 करोड मामलों की सुनवाई ऑनलाइन पद्धति से की गई. इसके तहत देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में 80.91 लाख मुकदमों तथा जिला अदालतों ने 2 करोड 11 लाख मुकदमों की ऑनलाइन सुनवाई हुई. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी 4 लाख 82 हजार मुकदमों में ऑनलाइन सुनवाई की. इसके अलावा ई-कोर्ट प्रकल्प अंतर्गत अब तक 73 करोड 44 लाख पन्नों का डिजीटलाइजेशन किया जा चुका है. साथ ही इस दौरान 25 ‘वर्च्यूअल कोर्ट’ भी स्थापित किये गये है, ताकि प्रलंबित मामलों की सुनवाई को गतिमान किया जा सके.

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