रसोई गैस और सीएनजी की कीमतों में भारी गिरावट की संभावना
गृहणियों को जल्द मिल सकती है राहतभरी खबर
आनेवाले अक्टूबर से सस्ती होगी रसोई गैस
नई दिल्ली/दि.१७ – पूरे देश में जहां कोरोना काल में भी मंहगाई चरम पर है. वहीं इसी दौर में गृहणियों को एक राहतभरी खबर मिल सकती है. पता चला है कि आनेवाले दिनों में रसोई गैस (एलपीजी), सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है. नैचुरल गैस की कीमतों में भारी कटौती होने वाली है. गैस की कीमतें हर ६ महीने में तय की जाती हैं. पहली बार अप्रैल में और दूसरी बार अक्टूबर में. अप्रैल की कीमतें तय हो चुकी हैं, अब अक्टूबर में तय होने वाली नैचुरल गैस कीमतें १.९०-१.९४ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर आ सकती हैं, जो कि एक दशक से ज्यादा समय में नैचुरल गैस की कीमतों का अबतक का सबसे निचला स्तर होगा. गैस निर्यातक देश नैचुरल गैस की बेंचमार्क दरों में बदलाव करने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, १ अक्टूबर २०२० से नैचुरल गैस की कीमतों में संशोधन होना है. गैस निर्यातक देशों की बेंचमार्क दरों में बदलाव के हिसाब से गैस का दाम घटकर १.९० से १.९४ डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट रह जाएगा. अगर ऐसा होता है तो एक साल में यह नैचुरल गैस की कीमतों में लगातार तीसरी कटौती होगी. इससे पहले अप्रैल में नेचुरल गैस की कीमतों में २६ परसेंट की बडी कटौती की गई थी. इससे नेचुरल गैस के दाम घटकर २.३९ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रह गए थे. गैस की कीमतों में कटौती का मतलब है कि देश की सबसे बडी तेल और गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी का घाटा बढ़ जाएगा. ओएनजीसी को २०१७-१८ में गैस कारोबार में ४,२७२ करोड रुपये का घाटा हुआ था. चालू वित्त वर्ष में इसके बढक़र ६,००० करोड रुपये पर पहुंचने का अनुमान है. ओएनजी और ऑयल इंडिया को गैस उत्पादन के लिए ३.८१८ डॉलर प्रति यूनिट का दाम मिलता था. इसमें १० परसेंट रॉयल्टी जोडने के बाद उपभोक्ताओं के लिए इसकी लागत ४.२० डॉलर बैठती थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने एक नए मूल्य फॉर्मूले को मंजूरी दी थी, जो २०१४ से लागू होना था. इससे गैस के दाम बढ़ जाते. लेकिन भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे रद्द कर नया फॉर्मूला पेश किया. इसके जरिये पहले संशोधन के समय गैस के दाम ५.०५ डॉलर प्रति इकाई रहे. इसके बाद छमाही संशोधन में गैस के दाम नीचे आते रहे.