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राजपथ पर दिखेगी महाराष्ट्र की संत परंपरा की झलक

वारकरी संप्रदाय की नींव रखनेवाले संत श्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज की 8 फूट की मूर्ति रहेगी आकर्षण

नई दिल्ली/दि.20  -आगामी 26 जनवरी को ऐतिहासिक राजपथ पर होनेवाली परेड में महाराष्ट्र राज्य की संत परंपरा की झलक प्रस्तुत की जायेगी. संत परंपरा पर आधारित आकर्षक चित्ररथ का कार्य अब अपने अंतिम चरण पर है . इस पथ संचलन की पूर्व तैयारी के रूप में रंगीत तालीम के लिए चित्ररथ के कार्य को गति मिली है. महाराष्ट्र सहित अन्य चुने गये राज्य और केन्द्रीय मंत्रालय के चित्ररथ राजपथ की परेड में शामिल होंगे.
कंटेनमेंट परिसर की रंगशाला ने महाराष्ट्र का चित्ररथ का कार्य पूरा किया जा रहा है. इस चित्ररथ पर स्थापित की गई प्रतिकृति आकर्षण का केन्द्र साबित हो रही है. महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य संचालनालय की ओर से गणतंत्र दिन पर राज्य की परंपरा की झलक दिखाई जायेगी. राज्य के चित्ररथ को बनाने का काम नागपुर के टीम शुभम प्रमुख राहुल धनसरे के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. यह चित्ररथ का संकल्पना चित्र व त्रिमीति प्रतिकृति रोशन घुले और तुषार प्रधान ने तैयार की है . कला दिग्दर्शक नरेश चरडे और पंकज इंगले के मार्गदर्शन में 30 कलाकार आकर्षक चित्र साकार कर रहे है .

  • चित्ररथ का लुक

चित्ररथ के प्रारंभ में वारकरी सम्प्रदाय की नींव रचनेवाले संत श्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज की 8 फूट की आसनस्त मूर्ति रखी गई है. इस मूर्ति के ठीक सामने ज्ञानेश्वर ग्रंथ दर्शाया गया है. चित्ररथ के मध्य हिस्से में भक्ति और शक्ति का संदेश देनेवाले हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज और वारकरी सम्प्रदाय इमारत का कलश रहनेवाले संत तुकाराम महाराज की भेंट दर्शानेवाले 8-8 फूट के दो पुतले स्थापित किए गये है. वहीं राज्य के संतों व करोडो भक्तों के दैवत्त रहनेवाले पांडुरंग के हाथ में रहनेवाले 8.5 फूट ऊ ची मूर्ति भी साकार की गई है .चित्ररथ के आखरी हिस्से में 8 फूट उंची संतवाणी ग्रंथ बनाया गया है. जिस पर संतों के वचन लिखे गये है . इन सभी पुतलो का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. अब रंगरोगन का कार्य चल रहा है. चित्ररथ के दोनों छोर पर संत जनाबाई, संत कान्होपात्रा, संत नामदेव , संत शेख मोहम्मद ,संत नरहरी , संत सावता, संत दामाजी पंत, संत गोरोबा, संत एकनाथ, संत सेना, संत चौखामेला की प्रतिकृति भी रहेगी.

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