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14 फीसदी रिजर्वेशन के साथ होगी मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती

ओबीसी आरक्षण न बढ़ाने का हाई कोर्ट का फैसला बरकरार

नई दिल्ली/दि. 13 – मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासत लगातार गरमाती जा रही है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की संवैधानिकता और 10 फीसदी EWS आरक्षण देने की संवैधानिकता वाली सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई की. सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि मध्य प्रदेश में सभी भर्तियां 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के आधार पर होनी चाहिए. हाई कोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने के मामले में रोक को बरकरार रखा है. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
इस मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति भी गर्म है. इस मामले पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण सुभाष यादव ने ट्वीट किया, “शिवराज सिंह OBC विरोधी. ओबीसी आरक्षण को लेकर दृढ़इच्छाशक्ति के अभाव में शिवराज सरकार ने 15 सालों में कुछ भी नहीं किया, हाईकोर्ट में सरकार का पक्ष भी निराशाजनक! 15 महीनों में ही कमलनाथ सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा कर दी थी. प्रदेश सरकार के असहयोगात्मक रुख के कारण OBC वर्ग हताश….”

  • 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका

50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देकर ओबीसी का आरक्षण 27 फीसदी बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट में 31 याचिका दायर की गई थीं. कई सामाजिक संगठनों के साथ ही वकीलों के एक संगठन ने भी याचिका दायर की थी. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद, उदय कुमार साहू, विष्णु पटेल ने याचिका का पक्ष रखा. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने अदालत में EWS आरक्षण की संवैधानिकता को भी चुनौती दी.
सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार और MPPSC की ओर से एक एप्लीकेशन दिया गया जिसमें कहा गया कि रिजर्वेशन के स्टे के कारण मेडिकल ऑफिसर्स की तैनाती रुकी हुई है. जिस पर हाई कोर्ट ने कहा कि 14 फीसदी आरक्षण के साथ मेडिकल ऑफिसर्स का अप्वाइंटमेंट किया जाए. क्योंकि कोरोना की संभावित तीसरी लहर के चलते ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है.

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